उपभोक्ता फोरम ने फर्नीचर का मूल्य, हर्जाना और मुकदमेबाजी खर्च देने का आदेश दिया।
अखिल वोहरा, पंचकूला। उपभोक्ता फोरम ने एक फैसले में डीटीडीसी एक्सप्रेस लिमिटेड को दोषी ठहराते हुए आदेश दिया है कि वह उपभोक्ता को क्षतिग्रस्त फर्नीचर के मूल्य 25,000 रुपये ब्याज सहित लौटाए, साथ ही मानसिक उत्पीड़न के लिए 15,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 5,500 रुपये का भुगतान करे। यह मामले में मुंबई निवासी प्रीतम गोयल ने डीटीडीसी एक्सप्रेस लिमिटेड की शाखाओं के खिलाफ शिकायत की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शिकायत के अनुसार, प्रीतम गोयल ने डीटीडीसी की पंचकूला शाखा (सेक्टर-25, एचडीएफसी बैंक के पास स्थित कार्यालय) से चार बक्सों में फर्नीचर की बुकिंग अपने जीरकपुर पीरमुछल्ला स्थित फ्लैट से मुंबई भेजने के लिए करवाई थी। उक्त फर्नीचर का मूल्य 25,000 रुपये बताया गया था। कंपनी ने सुरक्षित डिलीवरी का आश्वासन दिया और प्रीतम गोयल को बुकिंग रसीद जारी की।
फर्नीचर की डिलीवरी 15 नवंबर 2021 को मुंबई स्थित उनके घर पर की गई। शिकायतकर्ता के अनुसार, जब उन्होंने डीटीडीसी के डिलीवरी एजेंट की मौजूदगी में बक्से खोले, तो सभी चार फर्नीचर के टुकड़े टूटे और खरोंचे हुए मिले। शिकायतकर्ता ने उसी समय डिलीवरी रन शीट स्पष्ट रूप से लिखा कि सभी चार पीस डैमेज हैं। ग्लास टूटा हुआ, कुर्सियां टूटी हुईं और टेबल व कुर्सियों पर स्क्रैच हैं।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने डीटीडीसी कंपनी को ईमेल कर नुकसान की शिकायत दर्ज कराई और कंपनी के सपोर्ट पैनल पर टिकट तहत शिकायत की, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। शिकायतकर्ता ने 10 दिसंबर व 13 दिसंबर 2021 को कई ईमेल भेजे, जिसके बाद 14 दिसंबर को कंपनी के एक प्रतिनिधि मोहम्मद जब्बार ने उनसे इनवाइस, शिपिंग कापी और अनुमानित लागत मांगी। प्रीतम गोयल ने जवाब देते हुए कहा कि उनके पास पुराने फर्नीचर के बिल नहीं हैं और कंपनी की यह मांग अनुचित है।
6 जनवरी 2022 को शिकायतकर्ता ने नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई, परंतु 4 फरवरी 2022 को कंपनी ने जवाब देते हुए अपनी जिम्मेदारी से इंकार कर दिया। आखिरकार शिकायतकर्ता ने 8 जुलाई 2022 को डीटीडीसी को लीगल नोटिस भेजा, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। फोरम के समक्ष डीटीडीसी ने अपने बचाव में कहा कि उनकी रसीद के पीछे दिए गए नियमों के अनुसार किसी भी नुकसान की स्थिति में कंपनी की अधिकतम जिम्मेदारी 100 रुपये तक सीमित है और विवाद होने पर मामला मध्यस्थता में जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पैकिंग ग्राहक ने खुद की थी, जो ठीक नहीं थी।
इस पर फोरम ने स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ताओं को वैकल्पिक राहत का अधिकार है और किसी अनुबंध में छिपी हुई मध्यस्थता की शर्त उपभोक्ता के अधिकारों को सीमित नहीं कर सकती। साथ ही फोरम ने माना कि कंपनी द्वारा 100 रुपये तक की जिम्मेदारी तय करने की शर्त एक अनुचित व्यापार प्रथा है और इसे मान्य नहीं किया जा सकता।
फोरम ने कहा कि डीटीडीसी जैसी पेशेवर कूरियर कंपनी को यह दायित्व था कि वह माल को सुरक्षित रूप से गंतव्य तक पहुंचाए। यदि पैकिंग सही नहीं थी, तो कंपनी को उसे लेने से मना करना चाहिए था या ग्राहक को सुधार की सलाह देनी चाहिए थी। एक बार माल स्वीकार करने और शुल्क वसूलने के बाद कंपनी इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। मूल्यांकन के संबंध में फोरम ने कहा कि भले ही शिकायतकर्ता ने बिल प्रस्तुत नहीं किया, लेकिन चार बक्सों में लकड़ी और ग्लास के फर्नीचर की अनुमानित कीमत 25,000 रुपये होना वाजिब है। |