दोनों गठबंधनों ने नहीं किया CM फेस घोषित  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प और पेचीदा हो गया है। INDIA और NDA, दोनों प्रमुख गठबंधनों में पहले जैसी स्पष्टता इस बार नज़र नहीं आ रही। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि पहली बार दोनों खेमों ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है। गठबंधनों के भीतर गहराते मतभेद और नेतृत्व को लेकर असमंजस साफ झलक रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
बिहार चुनाव 2025  
पहला फेज 121सीटें  
| नोटिफिकेशन | नॉमिनेशन | स्क्रूटनी | नाम | वापसी वोटिंग |  | 10 अक्टूबर | 10-17 अक्टूबर | 18 अक्टूबर | 20 अक्टूबर | 6 नवंबर |     
 
   
दूसरा फेज 122 सीटें  
| नोटिफिकेशन |  नॉमिनेशन | स्क्रूटनी | नाम | वापसी वोटिंग |  | 13 अक्टूबर | 13-20 अक्टूबर |  21 अक्टूबर | 23 अक्टूबर | 11 नवंबर |     
 
   
रिजल्ट         
| रिजल्ट | 14 नवंबर |  | कुल सीट | 243  |  | बहुमत | 122 |  | चुनाव प्रक्रिया | 40 दिन |     
 
INDIA गठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर भारी खींचतान देखने को मिली। नामांकन की आखिरी तारीख तक कांग्रेस, वाम दल और RJD में तालमेल नहीं बन पाया। RJD ने 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन अपनी सूची नॉमिनेशन खत्म होने से केवल सात घंटे पहले जारी की। इससे पहले तक RJD के प्रत्याशी नामांकन भरते रहे, जिससे अन्य घटक दलों के भीतर नाराज़गी और असमंजस की स्थिति बनी रही। कुल मिलाकर गठबंधन ने 243 में से 254 उम्मीदवार उतारे हैं, यानी 12 सीटों पर आपसी टकराव की स्थिति है।  
 
कांग्रेस को पिछली बार के मुकाबले इस बार कम सीटें मिली हैं। CPI(ML) को पिछली बार शानदार प्रदर्शन के चलते 20 सीटें मिलीं, जबकि VIP, जो पहले NDA का हिस्सा थी, अब INDIA के साथ है। VIP ने जिन 15 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से दो पर RJD ने भी अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं।  
 
NDA की बात करें तो BJP और JDU के बीच सीटों का बंटवारा इस बार शक्ति-संतुलन के नए गणित के साथ हुआ है। BJP को अधिक सीटें दी गई हैं, जबकि JDU की हिस्सेदारी घटाई गई है। चिराग पासवान की LJP (रामविलास) को 29 सीटें दी गई हैं, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। VIP के NDA से अलग होने के बाद निषाद वोट बैंक प्रभावित हो सकता है।  
 
जातीय समीकरण साधने के लिए NDA ने खास रणनीति अपनाई है। 243 में से 162 उम्मीदवार सवर्ण और OBC समुदाय से हैं। इनमें सबसे ज़्यादा 85 उम्मीदवार फॉरवर्ड जातियों से आते हैं, जबकि बिहार की फॉरवर्ड आबादी कुल जनसंख्या का केवल 10.56% है। यानी एनडीए ने अपनी 35% सीटें फॉरवर्ड को देकर स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है।  
 
महिला उम्मीदवारों के मामले में RJD सबसे आगे है, जिसने 24 महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस ने 5, BJP और JDU ने 13-13, और LJP (रामविलास) ने 6 महिलाओं को टिकट दिया है। हालांकि, इनमें से कई उम्मीदवार राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखती हैं।  
 
RJD ने 51 यादव, 19 मुसलमान, 14 सवर्ण और 11 कुशवाहा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। पार्टी का फोकस यादव-मुस्लिम समीकरण पर तो है ही, लेकिन कुशवाहा और वैश्य जैसी जातियों को भी महत्व दिया गया है। वहीं, JDU ने सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है।  
 
74 पार्टियां इस बार चुनाव मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी और प्रशांत किशोर की जन सुराज सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इस बार का चुनावी रण सिर्फ दलों के बीच नहीं, बल्कि गठबंधनों के अंदर भी लड़ा जा रहा है। उम्मीदवारों की घोषणाएं, आखिरी समय तक नामांकन, और आपसी टकराव ने साफ कर दिया है कि बिहार में सत्ता की चाबी इस बार गठबंधन की एकता से ज्यादा उसके प्रबंधन पर निर्भर करेगी।  
 
मुख्यमंत्री चेहरा न घोषित करना दोनों गठबंधनों की रणनीति हो सकती है, या अंदरूनी भ्रम। लेकिन इससे मतदाताओं के सामने यह सवाल जरूर खड़ा होता है कि वे किस नेतृत्व के नाम पर वोट करें। NDA 20 साल की सत्ता विरोधी लहर से जूझ रहा है, जबकि INDIA गठबंधन भीतर से ही असमंजस और असंतोष से घिरा है। इस स्थिति में कोई भी नतीजा चौंकाने वाला नहीं होगा। |