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Bihar Election 2025 : अभी दोनों ओर उलझी है सीटों की गुत्थी, सुलझा रहे दिग्गज

deltin33 2025-10-8 20:06:28 views 610

  बिहार चुनाव में सीटों पर उलझी सियासत





डिजिटल डेस्क, पटना। आमने-सामने के दोनों गठबंधनों (एनडीए और महागठबंधन) में छोटे सहयोगियों की बड़ी मांग सीट बंटवारे की गुत्थी उलझाए हुए है। चूंकि दो दिन बाद से पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होनी है, लिहाजा गठबंधनों के दिग्गज समझौते को अंतिम रूप देने का जी-तोड़ प्रयास कर रहे। भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े की चिराग पासवान से भेंट का यही उद्देश्य रहा। अभी तक 30 की जिद पर अड़े चिराग को 25 सीटों की पेशकश हो रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



हम की अपनी महत्वाकांक्षा है, लेकिन वह चिराग जैसे जिद्दी नहीं। उधर महागठबंधन में राजद कई चुनावों की स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए सहयोगी दलों, विशेषकर कांग्रेस, को अपनी मांग का दायरा छोटा करने को कह रहा। वहां कांग्रेस के साथ वीआइपी का भी पेच है। राजद लगभग 20 सीटें छोड़ने को तैयार है और कांग्रेस से भी इतनी ही अपेक्षा कर रहा, ताकि वीआइपी और वामदलों की इच्छापूर्ति हो सके।



चिराग अड़े 30 सीटों पर भाजपा से पेशकश अभी 25 की, बातचीत जारी

चुनाव आयोग ने दो चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन राज्य के दोनों बड़े गठबंधनों (एनडीए और महागठबंधन) ने अब तक तैयारी का पहला चरण पूरा नहीं किया है। यह घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का चरण है, जिसमें दोनों गठबंधन उलझे हुए हैं। एनडीए में नई बात यह हुई है कि सीटों की संख्या को लेकर मुंह फुलाकर बैठे लोजपा-रामविलास के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मंगलवार को भाजपा नेताओं से बातचीत की।



भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के प्रभारी विनोद तावड़े ने बताया कि उनके साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी चिराग पासवान से मिले। उनसे बिहार चुनाव को लेकर चर्चा हुई। बिहार की प्रगति के लिए एनडीए सरकार आवश्यक है और इसके लिए एनडीए के सभी साथी संकल्पबद्ध हैं। भाजपा के ये नेता चिराग के नई दिल्ली स्थित आवास पर गए थे। हालांकि, उन्होंने बातचीत का ब्योरा नहीं दिया।



असल में विधानसभा सीटों की संख्या को लेकर चिराग अड़े हुए हैं। उन्हें 18-20 सीटें दी जा रही थी। अब यह संख्या 25 हो गई है, लेकिन वे लोकसभा की एक सीट के एवज में विधानसभा की छह सीटों की मांग कर रहे हैं। उनके पांच सांसद हैं और इस हिसाब से उन्हें विधानसभा की कम से कम 30 सीटें चाहिए। एनडीए के दो अन्य घटक दलों (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानी हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा यानी रालोमो) से भी बातचीत चल रही है। कोई परिणाम नहीं निकला है।



केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की अगुआई वाला हम प्रत्यक्ष रूप से 16-18 सीटों की मांग कर रहा है। वास्तव में वह 10-12 सीटों पर राजी हो जाएगा। मांझी का तर्क है कि इतनी सीटें चाहिए, जिससे विधायकों की संख्या कम से कम सात हो, ताकि हम को राज्य स्तरीय दल का दर्जा मिल सके।
जदयू और भाजपा के बीच सीटों को लेकर कोई तकरार नहीं

जदयू पहले की तरह भाजपा से कम से कम एक सीट अधिक चाह रहा। दोनों दलों के नेताओं के बीच सोमवार रात उच्च स्तर पर विमर्श हुआ। चर्चा है कि जदयू को 105 सीटें मिल सकती हैं। उनमें से पांच-छह सीटें अदला-बदली वाली हो सकती हैं। चिराग पासवान के साथ सीटों को ले भाजपा के साथ सहमति बनने के बाद इस बारे में आधिकारिक घोषणा संभव है। जदयू कोर टीम के लोग इस मसले पर अभी कुछ नहीं बोल रहे। उनका कहना है कि अति शीघ्र सीट शेयरिंग पर मुहर लगेगी।



वहीं जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा और पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी काफी देर तक मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार के साथ विमर्श करते रहे। इस संबंध में पूछे जाने पर विजय चौधरी ने कहा कि वे लोग नियमित रूप से मुख्यमंत्री के साथ विमर्श करते रहे हैं। आज की बैठक भी उसी कड़ी में थी।


30 से कम सीटों पर राजी नहीं हो रहे है वीआइपी, देखा देखी वामदल भी अड़े

महागठबंधन में सीटों का बंटवारा विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) और वाम दलों की मांग के बीच फंस गया है। पिछले चुनाव में राजद के बाद सबसे बड़ी हिस्सेदार कांग्रेस थी। वह 70 सीटों पर लड़ी थी। कांग्रेस 50-55 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गई है, लेकिन बाद में सम्मिलित हुई वीआइपी 30 से कम सीटों पर राजी नहीं हो रही है। वीआइपी की बढ़ी मांग को देखते हुए वाम दलों ने भी दबाव बढ़ा दिया है। पिछली बार 19 सीटों पर लड़कर 12 पर जीत दर्ज करने वाले भाकपा-माले ने पहले 34 सीटों की सूची दी थी। वह कम से कम 30 सीट पर अड़ा है।



माले का तर्क है कि बिना विधायक और सांसद वाली वीआइपी को अगर 20 सीटें दी जा सकती हैं तो 12 विधायक और दो सांसदों वाली पार्टी कम सीटों पर कैसे मान जाएगी। माले के अलावा भाकपा और माकपा ने भी अधिक सीटों की मांग की है। भाकपा ने 24 सीटों की मांग की है। पिछली बार उसे छह सीटें दी गई थीं, जिनमें दो पर उसकी जीत हुई।

माकपा को भी छह से अधिक सीटें चाहिए। माकपा बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी नहीं छोड़ रही है। मटिहानी के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह पिछली बार जदयू के टिकट पर चुनाव हार गए थे। चुनाव की घोषणा के कुछ दिन पहले वे राजद में सम्मिलित हो गए।



राजद ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। वैसे, वीआइपी के संस्थापक मुकेश सहनी का दावा है कि सीटों की संख्या को लेकर घटक दलों में कोई विवाद नहीं है। समय आने पर सब ठीक हो जाएगा।
तेजस्वी से मिल डी. राजा ने मांगी 24 व झामुओ ने 12 सीटें

भाकपा महासचिव डी. राजा ने मंगलवार को तेजस्वी यादव से उनके आवास पर भेंट की और अपनी पसंदीदा 24 सीटों की सूची सौंपी। कहा कि हमारी पार्टी को सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए। उस दौरान राजद के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल, पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय, राष्ट्रीय सचिव संजय कुमार और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य अजय कुमार सिंह उपस्थित रहे।



डी. राजा ने बताया कि महागठबंधन में सीएम प्रत्याशी को लेकर कोई समस्या नहीं है। तेजस्वी ही मुख्यमंत्री के चेहरा हैं। इसी के साथ उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है, लेकिन मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं।

एसआइआर पर प्रश्न उठाए गए थे और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही आधार और अन्य दस्तावेजों को पंजीकरण के लिए अनुमति दी गई थी। फिर भी, कई पात्र मतदाता, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग वंचित हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए झारखंड के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू एवं केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने 12 सीटों की मांग की।
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