जागरण संवाददाता, लखनऊ। जाली आयुष्मान कार्ड बनाकर सरकारी योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के खिलाफ एसटीएफ ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गिरफ्तार किए गए सातों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही गिरोह की जड़ तक पहुंचने के लिए अब उन अस्पतालों में तैनात कर्मचारियों का डाटा खंगाला जा रहा है, जहां अपात्रों के आयुष्मान कार्ड पर इलाज कराया गया।
एसटीएफ का मानना है कि बिना अस्पताल कर्मियों की मिलीभगत के इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा संभव नहीं था। जल्द ही और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
एसटीएफ ने बीते दिनों गोमतीनगर विस्तार से जाली आयुष्मान कार्ड बनाने वाले गिरोह के सरगना समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया था। पूछताछ और जांच में सामने आया था कि इस पूरे नेटवर्क का मुखिया दिल्ली में बैठकर संचालन कर रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उसी तक पहुंचने और पूरे गिरोह का राजफाश करने के लिए एसटीएफ ने अब अस्पतालों में तैनात आयुष्मान मित्रों, एजेंसी के कर्मचारियों और अन्य संबंधित कर्मियों की भूमिका की गहन पड़ताल शुरू की है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आयुष्मान कार्ड बनाने वाले जालसाजों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
इसके साथ ही एसटीएफ गिरोह के सरगना प्रतापगढ़ निवासी चंद्रभान, एजेंसी के एक्जीक्यूटिव और कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के आयुष्मान मित्र रंजीत की संपत्तियों का भी ब्योरा जुटा रही है। जांच में सामने आया है कि अपराध से अर्जित धन से कई संपत्तियां बनाई गई हैं, जिनकी जल्द ही कुर्की की जाएगी।
एसटीएफ को अपात्रों के आयुष्मान कार्ड का अप्रूवल करने वाले आइएसए के एक्जीक्यूटिव बाराबंकी निवासी सौरभ मौर्या, सुजीत कौनजिया, पूर्व अफसर विश्वजीत और एसएचए के अधिकारी व कैंसर संस्थान के रंजीत सिंह समेत अन्य आरोपितों के पास से बरामद इलेक्ट्रानिक गैजेट्स से कई अहम जानकारियां मिली हैं।
इन जानकारियों के आधार पर अब जेल भेजे गए एजेंसी के अफसरों और कैंसर संस्थान के कर्मियों के करीबी भी एसटीएफ की रडार पर आ गए हैं। उनके संबंध में साक्ष्य संकलन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
चार हजार से ज्यादा लोगों के बने हैं जाली आयुष्मान कार्ड: गिरोह ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे चार हजार से अधिक अपात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाए। इन कार्डों के जरिए विभिन्न अस्पतालों में इलाज दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
एजेंसी से उन अस्पतालों का ब्योरा मांगा गया है, जहां अपात्रों के कार्ड पर इलाज किया गया। इसके आधार पर अस्पतालों और वहां तैनात कर्मियों का डाटा जुटाया जा रहा है। भूमिका सामने आने पर संबंधित कर्मियों को भी आरोपित बनाया जाएगा। |