भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा।
संवाद सहयोगी, रामपुर। इस बार नववर्ष 2026 में 13 पूर्णिमा पड़ेगी। यह विशेष संयोग विक्रम संवत 2083 में अधिमास होने से बन रहा है। श्रद्धालु चंद्रमा की पूजा कर सुख समृद्धि की कामनाएं करेंगे। धार्मिक एवं ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा को बेहद शुभ माना जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
व्रत, पूजा पाठ, ध्यान, दान, सत्संग एवं धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। आमतौर पर हर साल 12 पूर्णिमा अधिमास पड़ता है। उस वर्ष 13 पूर्णिमा का विशेष संयोग बनता है। वर्ष 2018, 2021, 2023 में यह संयोग बन चुका है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नवनीत शर्मा ने अनुसार विक्रम संवत 2083 में ज्येष्ठ अधिकमास होने से एक अतिरिक्त पूर्णिमा होगी। ऐसे में वर्ष 2026 में 13 पूर्णिमा पड़ रही है। पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु एवं चंद्रमा की पूजा की जाती है।
अधिकमास यानि पुरुषोत्तम मास के कारण 12 की जगह 13 पूर्णिमा का विशेष संयोग बन रहा है, जो पूजा, दान और आध्यात्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना गया है।
खासकर मई महीने में ज्येष्ठ अधिक पूर्णिमा आएगी और इससे हर महीने एक अतिरिक्त पूर्णिमा होने से साल भर धार्मिक महत्व बढ़ जाएगा, जिससे सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति के अवसर बढ़ेंगे।
2026 की प्रमुख पूर्णिमा तिथियां
- पौष पूर्णिमा: 3 जनवरी, शनिवार
- माघ पूर्णिमा: 1 फरवरी,रविवार
- फाल्गुन पूर्णिमा: 3 मार्च, मंगलवार
- चैत्र पूर्णिमा: 1 अप्रैल व्रत / 2 अप्रैल स्नान-दान
- वैशाख पूर्णिमा: 1 मई, शुक्रवार
- ज्येष्ठ अधिक पूर्णिमा पुरुषोत्तम मास: 30 मई,शनिवार
- ज्येष्ठ पूर्णिमा: 29 जून, सोमवार
- आषाढ़ पूर्णिमा: 29 जुलाई, बुधवार
- श्रावण पूर्णिमा: 27 अगस्त व्रत / 28 अगस्त स्नान-दान
- भाद्रपद पूर्णिमा: 26 सितंबर,शनिवार
- शरद पूर्णिमा: 25 अक्टूबर (व्रत) / 26 अक्टूबर स्नान-दान
- कार्तिक पूर्णिमा: 24 नवंबर,मंगलवार
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा: 23 दिसंबर, बुधवार
क्यों है ये विशेष संयोग
- अधिकमास- हर 32 महीने में एक अतिरिक्त महीना अधिक मास/पुरुषोत्तम मास आता है, जिससे उस साल 13 पूर्णिमा होती हैं। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसलिए इसमें किए गए कार्य कई गुना फल देते हैं।
- धार्मिक महत्व: इस साल हर महीने एक पूर्णिमा पड़ रही है, जिससे साल भर धार्मिक अनुष्ठानों, स्नान, दान-पुण्य और व्रत का विशेष महत्व रहेगा।
- लक्ष्मी और विष्णु कृपा: पूर्णिमा को मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, और इस वर्ष 13 पूर्णिमा होने से विशेष कृपा प्राप्ति का अवसर प्राप्त होगा।
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य
नववर्ष 2026 में अधिकमास का दुर्लभ संयोग बनेगा, जिसको पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। इसे अत्यंत पावन महीना माना जाता है। अधिकमास को साधना, तप और भक्ति के लिए अत्यंत श्रेष्ठ समय माना गया है। इस पावन मास में व्रत और धार्मिक नियमों का पालन करने इस मास में किए गए कार्यों का शुभ फल मिलता है। -पंडित नवनीत शर्मा, ज्योतिषाचार्य। |