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साइबर ठगों के निशाने पर चंडीगढ़, 44.07 करोड़ की ठगी, 150 FIR और 147 गिरफ्तारी

LHC0088 2025-12-28 23:27:30 views 515
  

साइबर ठगी और साइबर अपराध आम लोगों के लिए गंभीर चुनौती बन चुके हैं।



जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। डिजिटल युग में जहां सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं साइबर अपराध भी तेजी से पांव पसार रहे हैं। साइबर अपराध पर काबू पाना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि साइबर ठगी और साइबर अपराध आम लोगों के लिए गंभीर चुनौती बन चुके हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

करोड़ों रुपये की ठगी, हजारों शिकायतें और लगातार बदलते अपराध के तरीके पुलिस प्रशासन और आम जनता दोनों के लिए चिंता का विषय हैं। वर्ष 2025 में साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए साइबर थाना पुलिस ने देश के 13 राज्यों में 93 छापेमारी कर 147 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है।

ये गिरफ्तारियां गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, झारखंड, असम, बिहार और दमन एवं दीव से की गई हैं। 2025 (अब तक) 8495 शिकायतें आई हैं। जो साइबर सेल द्वारा दर्ज किए बिना ही निपटा दी जाती हैं। जिसके बाद अब तक 150 एफआइआर दर्ज की गई हैं।
डिजिटल अरेस्ट के 16 मामले

साइबर पुलिस थाने में वर्ष 2025 में अब तक 150 साइबर ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें डिजिटल अरेस्ट ठगी के 16 मामले भी शामिल हैं। पुलिस के अनुसार इस वर्ष एफआइआर और गिरफ्तारी दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
10.75 करोड़ रुपये फ्रीज

आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 में शहर के लोगों से 44 करोड़ 7 लाख रुपये की आनलाइन ठगी हुई। साइबर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 10 करोड़ 75 लाख रुपये की राशि को फ्रीज कराया। पुलिस का कहना है कि जितनी जल्दी शिकायत, उतनी अधिक रिकवरी की संभावना होती है।
मोबाइल, लैपटाॅप और सिम बाॅक्स भी बरामद

  

छापेमारी के दौरान पुलिस ने गिरफ्तार आरोपितों के पास से 201 मोबाइल फोन, 6 लैपटाप, 6 सिम बाक्स बरामद किए। इसके अलावा साइबर ठगी में इस्तेमाल हो रहे 430 संदिग्ध मोबाइल नंबरों को ब्लॉक किया गया।
पिछले वर्षों की तुलना में 2024 में सबसे ज्यादा नुकसान

पुलिस आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में साइबर ठगी की राशि सबसे अधिक रही। 2024 में 112 एफआइआर, 65 करोड़ 32 लाख रुपये की ठगी, 88 आरोपितों की गिरफ्तारी, जबकि केवल 8 करोड़ 16 लाख रुपये ही फ्रीज हो सके।
पांच वर्षों का साइबर अपराध रिकाॅर्ड

     वर्ष             एफआईआर        ठगी                गिरफ्तारी

  • 2021      68                 3.16 करोड़        36   
  • 2022      144               13.57 करोड़      143  
  • 2023      133               22.55 करोड़      112  
  • 2024      112               65.32 करोड़      88  
  • 2025      147               44.07 करोड़      147  

वरिष्ठ नागरिक सबसे आसान शिकार

डिजिटल अरेस्ट में वरिष्ठ नागरिक सबसे आसान शिकार हैं। 70 से 89 वर्ष तक के बुजुर्गों से करोड़ों की ठगी हुई है। डिजिटल अरेस्ट मामलों में सामने आया है कि पीड़ितों की उम्र 53 से 89 वर्ष के बीच है। कई मामलों में 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों से 3 से 4 करोड़ रुपये तक की ठगी की गई। ठग खुद को पुलिस, सीबीआइ, ईडी या ट्राई अधिकारी बताकर वीडियो काल के जरिए डराते हैं।
इंटरनेट मीडिया बना ठगों का हथियार

  

साइबर ठगी के नए-नए तरीके में इंटरनेट मीडिया अपराधियों का हथियार बना है। पुलिस के अनुसार वर्तमान में मुख्य तरीके में डिजिटल अरेस्ट और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नकल, निवेश और ट्रेडिंग के नाम पर लालच, ओटीपी और केवाइसी धोखाधड़ी, फर्जी लोन ऐप, ऑनलाइन खरीद-बिक्री में ठगी और रिमोट एक्सेस ऐप के जरिए मोबाइल कंट्रोल कर ठगी की जा रही है।
अन्य राज्यों को भेजे गए 305 नोटिस

साइबर पुलिस ने इस वर्ष आई 4सी समन्वय पोर्टल के माध्यम से 305 नोटिस जारी किए। इसके अलावा अन्य राज्यों से प्राप्त 180 अनुरोधों पर भी कार्रवाई की गई।
जागरूकता से ही साइबर ठगी पर लग सकती है रोक

साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर इरम रिजवी ने कहा कि साइबर ठगी से बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता सबसे जरूरी है। इस वर्ष साइबर स्वच्छता मिशन के तहत 98 जागरूकता सत्र स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित किए गए, जिनमें 24,751 छात्रों को जागरूक किया गया।
वरिष्ठ नागरिकों पर विशेष फोकस

पुलिस ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाया, जिसमें 1,575 बुजुर्गों को साइबर ठगी से बचाव की जानकारी दी गई। इसके अलावा शहर में साइबर जागरूकता कियोस्क, एफएम और सार्वजनिक घोषणा प्रणाली के जरिए संदेश, सोशल मीडिया पर जागरूकता वीडियो भी चलाए गए।
जनता के लिए जरूरी सलाह, सावधानी ही बचाव

जनता के लिए जरूरी सलाह, सावधानी ही बचाव है। इसके लिए किसी भी अधिकारी का दावा करने वाले कॉलर की पहचान जांचें, 1930 पर तुरंत सूचना दें। इसके साथ ही मजबूत पासवर्ड और दो-स्तरीय सुरक्षा अपनाकर ठगी से बचें। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि शर्म या डर के कारण साइबर ठगी को न छिपाएं। समय पर शिकायत न केवल पैसा बचा सकती है, बल्कि अपराधियों तक पहुंचने में भी मददगार होती है।
क्या न करें

  • ओटीपी, पिन, सीवीवी साझा न करें
  • डराने वाली कॉल पर घबराएं नहीं
  • अनजान लिंक और क्यूआर कोड से बचें
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