तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण
संवाद सूत्र, घुघली। निर्दयता और संवेदना के बीच की जंग में शनिवार की सुबह मानवता की जीत की कहानी सामने आई। घुघली कस्बे में हठी माता मंदिर के समीप स्थित बगीचे में एक बोरे के भीतर पड़ी नवजात बच्ची की सिसकियों ने राहगीरों का दिल दहला दिया। बोरे में बंद बच्ची जिंदगी को देखकर हर कोई भावुक हो उठा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वार्ड नंबर नौ निवासी मनीष रोज की तरह सुबह टहलने निकले थे, तभी मंदिर के पास रखे एक बोरे से आती धीमी-धीमी रोने की आवाज ने उनका ध्यान खींचा। जब उन्होंने बोरा खोला तो भीतर एक बच्ची पड़ी थी। ठंड और भूख से बेहाल, जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती हुई।
मनीष बिना समय गंवाए बच्ची को अपने घर ले आए। वहां उनकी मां फूलमती ने ममता की मिसाल पेश करते हुए कहा कि उस अनजान बच्ची को अपनी गोद में समेट लिया। कांपते हाथों से उसे दूध पिलाया, गर्म कपड़े में लपेटा और मां की तरह उसकी देखभाल करने लगीं। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद भावुक हो उठे।
बच्ची की हालत नाजुक देख फूलमती खुद उसे लेकर घुघली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचीं। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के साथ आक्सीजन सपोर्ट दिया और गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर कर दिया। फूलमती की आंखों में ममता और आवाज में अपनापन साफ झलक रहा था।
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उन्होंने कहा अगर कानून इजाजत देगा तो मैं इस बच्ची को अपनी बेटी बनाना चाहूंगी। उनकी इस भावना और साहसिक मानवीय पहल की पूरे इलाके में सराहना हो रही है।
सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। थानाध्यक्ष कुंवर गौरव सिंह ने कहा कि नवजात को सुरक्षित जिला अस्पताल भेजकर चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया है। बच्ची को बोरे में छोड़ने वाले की तलाश की जा रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।
इस घटना ने एक ओर समाज की संवेदनहीनता को उजागर किया, तो दूसरी ओर यह भी साबित कर दिया कि आज भी इंसानियत जिंदा है बस जरूरत है उसे पहचानने और संजोने की। |