सांकेतिक तस्वीर
दिलीप शर्मा, लखनऊ। वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) में गणना प्रपत्र जमा करने की अवधि पूरी होने के बाद सामने आए आंकड़ों ने राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज कर दी हैं। जिन 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम कटने जा रहे हैं, वे किसके समर्थक हैं या उनमें सबसे ज्यादा संख्या किसकी है? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इन वोटों के कम होने से चुनावी वैतरणी में किसकी नाव की पतवार टूटेगी और किसका बेड़ा पार होगा, यह प्रश्न सबके मन को मथ रहा है। 31 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी होना है लेकिन इस प्रश्न का उत्तर तलाशने को सभी राजनीतिक दल अभी से आकलन में जुट गए हैं।जब एसआइआर की प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब प्रदेश में 15.44 करोड़ मतदाता थे।
आयोग के अनुसार, एसआइआर में 2.89 करोड़ मतदाता अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत व डुप्लीकेट श्रेणी के मिले हैं। बड़ी संख्या में मतदाताओं के घटने से चुनावी समीकरणों में हलचल है। 14 दिसंबर को भाजपा के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में करीब चार करोड़ मतदाताओं के नाम कटने की आशंका जताते हुए कहा था कि इनमें से 80 से 85 प्रतिशत भाजपा समर्थक हैं।
पार्टी नेताओं को सचेत करने के साथ उन्होंने कार्यकर्ताओं को पात्र लोगों के नाम मतदाता सूची में जुड़वाने के निर्देश दिए थे। ऐसे में भाजपा पर दबाव ज्यादा है। भाजपा को ज्यादा नुकसान होने की आशंका को इससे भी बल मिल रहा है कि जिन जिलों में सबसे ज्यादा नाम कटने का अनुमान लगाया जा रहा है, उनमें से अधिकांश में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
हालांकि, अभी तक भाजपा ने ताजा आंकड़ों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। योगी के इस बयान के सहारे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे है। मुख्यमंत्री पर तंज करते हुए सपा प्रमुख ने एक्स पर लिखा, बकौल \“एक वर्ष शेष\“ उप्र के मुख्यमंत्री जी, इसमें से 85-90 प्रतिशत उनके अपने वोटर कटे हैं।
2.89 करोड़ का अगर केवल 85 प्रतिशत भी मान लिया जाए तो उसके हिसाब से 403 सीट में से प्रत्येक पर 61 हजार वोट का आंकड़ा आएगा। भाजपा यदि हर सीट पर औसतन इतने कम वोट पाएगी तो ऐसे में वह सरकार क्या बनाएगी, दहाई का अंक भी पार नहीं कर पाएगी। उन्होंने भाजपा के ब्राह्मण विधायकों की बैठक को भी इससे जोड़ते हुए कटाक्ष किया।
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, मुख्यमंत्री तो कह रहे थे कि चार करोड़ वोटर कम हुए हैं, फिर 2.89 करोड़ का आंकड़ा कैसे आया? दो सप्ताह में 1.11 करोड़ की संख्या अचानक कैसे बढ़ गई? ये संख्या जुड़ी है या जोड़ी गई है? कहीं ये कार्य किसी और के \“कर-कमल\“ से तो अंजाम नहीं दिया गया? पार्टी सूत्रों के अनुसार सपा दो मोर्चों पर काम कर रही है।
एक तरफ मुख्यमंत्री के बयान के सहारे भाजपा की हार तय होने का नैरेटिव खड़ा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ पार्टी के 1,12,309 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) और एसआइआर में लगे नेताओं को ड्राफ्ट रोल के अध्ययन और अपने मतदाताओं के नाम जुड़वाने के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं बसपा ने अपने कार्यकर्ताओं को रणनीति के हिसाब से काम जारी रखने को कहा है। नाम कटने को लेकर कांग्रेस पहले से ही भाजपा पर हमलावर है और सवाल उठा रही है कि यदि इतने मतदाता फर्जी थे तो क्या भाजपा उनके ही दम पर चुनाव जीती थी। अब प्रदेश में भी इसी संदेश को आगे बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। |