सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। नीदरलैंड की गैर-लाभकारी संस्था स्टिचिंग फ्रिस विंड.नु (एसएफडब्ल्यू) ने टाटा स्टील पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए 1.4 अरब यूरो (आज की दर से करीब 12,600 करोड़ रुपये) का हर्जाना मांगा है। कंपनी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे बिना सबूत और काल्पनिक बताया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
टाटा स्टील ने शेयर बाजार को जानकारी दी है कि यह मुकदमा उसकी डच सहायक कंपनियों (टाटा स्टील नीदरलैंड्स और टाटा स्टील आईमुइडन) के खिलाफ दायर किया गया है। एनजीओ का दावा है कि वह आईमुइडन प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों की तरफ से यह लड़ाई लड़ रहा है। आरोपों के मुताबिक, प्लांट से निकलने वाले खतरनाक पदार्थों से स्थानीय लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ा है और इलाके में प्रापर्टी के दाम गिर गए हैं।
टाटा स्टील ने स्पष्ट किया है कि वे इस कानूनी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कंपनी के अनुसार, एनजीओ ने अपने दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए हैं। प्रबंधन का कहना है कि टाटा स्टील नीदरलैंड्स (टीएसएन) ग्रीन स्टील प्लान के तहत काम कर रही है।
पिछले पांच सालों में भारी निवेश कर पर्यावरण सुरक्षा और कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में बेहतरीन काम किया गया है। कंपनी का प्रदर्शन यूरोपीय और वैश्विक मानकों से काफी बेहतर है।
यह मुकदमा नीदरलैंड के सामूहिक दावा निपटान अधिनियम के तहत दायर किया गया है। टाटा स्टील के मुताबिक, यह प्रक्रिया काफी लंबी है। अभी सिर्फ मामले की स्वीकार्यता और गुण-दोष पर सुनवाई होगी, जिसमें दो से तीन साल लग सकते हैं। हर्जाने की रकम पर बहस तो अभी बहुत दूर की बात है। कंपनी का मानना है कि उनके पास बचाव के लिए मजबूत तर्क मौजूद हैं।
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