जागरण संवाददाता, सहारनपुर। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लखनौती क्षेत्र के शकरपुर साकरौर निवासी पंकज की बागपत में हुई हत्या का संज्ञान लेते हुए मृतक के स्वजन को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं। राज्यपाल ने इस राशि की प्रतिपूर्ति दोषी पुलिसकर्मियों से वसूली करने के भी निर्देश दिए गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गंगाेह थाना क्षेत्र के शकरपुर साकरौर निवासी रामपाल पुत्र रूढा ने बताया कि वे अनुसूचित जाति से हैं। बताया कि उसका 30 वर्षीय पुत्र पंकज 24 दिसंबर 2021 की शाम को घर से बागपत जनपद के गांव बिहारीपुर में देवप्रिय प्रधान के यहां मजदूरी के लिए जाने की बात कहकर गया था।
अगले दिन वह देवप्रिय के यहां पहुंचा तथा उनसे मजदूरी के लिए कहा। आरोप है कि देवप्रिय व उसके साथियों ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उसके साथ लाठी-डंडे व सरियों से बुरी तरह मारपीट की। यही नहीं उसके पास एक तमंचा व दो कारतूस दिखाते हुए कोतवाली बागपत में पुलिस को सौंप दिया।
स्वजन का आरोप है कि पुलिस ने भी पंकज के साथ मारपीट की और कई घंटे के बाद हालत ज्यादा बिगड़ते देख उसे जिला अस्पताल बागपत से हायर सेंटर दिल्ली रेफर कर दिया गया। सूचना मिलने के बाद स्वजन वहां पहुंचे, लेकिन तब तक पंकज की मौत हो चुकी थी।
स्वजन ने बताया कि पुलिस ने घायल पंकज को जब अस्पताल भेजा था, उसके शरीर पर नौ जख्म दिखाए गए थे, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर 34 जख्म दिखाए गए हैं। इससे पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो गए।
स्वजन ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री के साथ ही एससी-एसटी आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की थी। इसके बाद पुलिस हरकत में आई, लेकिन आरोपितों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302 के बजाय धारा 304 में मुकदमा दर्ज किया गया।
पीड़ित स्वजन की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लिया और पंकज की बागपत में हुई हत्या के मामले को मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए मृतक के स्वजन को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने के संस्तुति की।
इस पर राज्यपाल ने पंकज के स्वजन को पांच लाख रुपये आर्थिक सहायता देने तथा इस राशि की प्रतिपूर्ति को दोषी पुलिसकर्मियों तत्कालीन इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर और दारोगा हरीशचंद्र त्यागी पर कार्रवाई कर नियमानुसार वसूली करने के निर्देश दिए है। |