जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। राजपुर के ग्राम्य विकास इंटर कालेज बुधौली में जीपीएफ से करीब 37 लाख गबन के मामले में स्पेशल जज सीबीआइ भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने उस समय के प्रधानाचार्य, लिपिक समेत चार को सजा सुनाई है।
इसमें प्रधानाचार्य को दो साल तो प्रधान लिपिक, सहायक लिपिक व चतुर्थ श्रेणी कर्मी को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। उन पर अर्थदंड भी लगाया गया है।
कालेज से वर्ष 2009 में यह गबन किया गया था, मामला सामने आने पर वर्ष 2010 में तत्कालीन डीआइओएस नंदलाल ने मुकदमा दर्ज कराया था। पहले तो पुलिस ने जांच की लेकिन बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआई को दी गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कर्मचारियों के खाते से करीब 37 लाख रुपये का जीपीएफ निकाल कर वहां के तत्कालीन प्रधानाचार्य आरके कटियार, वरिष्ठ लिपिक विनय कुमार शर्मा, सहायक लिपिक अनंत प्रताप सिंह व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुरेन्द्र सिंह ने डीआइओएस कार्यालय की सांठगांठ से निकाल लिया था। इसमें वह निलंबित भी किए गए थे।
सीबीआइ कोर्ट के अभियोजन अधिकारी आशीष कुमार सक्सेना ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में कोर्ट में 42 गवाहों का परीक्षण कराया गया। आठ आरोपितों आरके कटियार, अनंत प्रताप सिंह, विनय कुमार शर्मा, सुरेन्द्र सिंह, शिवशरण तिवारी, तत्कालीन लेखाधिकारी हरिनारायण गोस्वामी व लिपिक अनिरुद्ध के अलावा प्रवक्ता रामतीर्थ कटियार के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल हुई थी।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपित रामतीर्थ कटियार की मौत हो गई थी इस पर उनको नाम पत्रावली से हटा दिया गया था। कोर्ट ने आरके कटियार को दो वर्ष की सजा, 20 हजार अर्थदंड व बाकी विनय, सुरेंद्र सिंह व अनंत प्रताप को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है इन पर 50-50 हजार का अर्थदंड लगाया है। वहीं मुकदमे में नामजद रहे डीआइओएस कार्यालय के लेखाधिकारी शिवशरण तिवारी, हरिनारायण गोस्वामी व अनिरुद्ध के विरुद्ध साक्ष्य न पाए जाने पर उनको बरी कर दिया गया। |