रिम्स अस्पताल में दलालों का दबदबा, मृत्यु प्रमाण पत्र के नाम पर होती है अवैध वसूली

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राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान। फाइल फोटो  



जागरण संवाददाता, रांची। राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अस्पताल परिसर में सक्रिय दलाल आवेदकों से खुलेआम अवैध वसूली कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

स्थिति यह है कि काउंटर के बाहर ही दलालों का जाल फैला हुआ है और एक मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए 1500 से 2000 रुपये तक लिए जा रहे हैं, जबकि सरकारी नियमों के अनुसार यह सेवा पूरी तरह निशुल्क है।

मृतक के स्वजन बताते हैं कि काउंटर पर आवेदन देने के बाद उन्हें एक माह का समय दिया जाता है। लेकिन जब वे अपनी मजबूरी बताते हैं, जैसे बीमा क्लेम, पेंशन, पारिवारिक लाभ योजना या अन्य जरूरी कागजात तो दलाल तत्काल प्रमाण पत्र दिलाने के नाम पर पैसों की मांग करने लगते हैं।
बेखौफ चलता है अवैध धंधा

कई मामलों में आवेदकों ने मजबूरी में रकम दे भी दी। एक आवेदक ने बताया कि उससे 2000 रुपये लेकर यूपीआई के माध्यम से किसी “सीमा सिंह” के नाम भुगतान कराया गया। हैरानी की बात यह है कि यह लेन-देन पूरी तरह खुले तौर पर किया जा रहा है, जिससे दलालों की निडरता साफ झलकती है।

पीड़ितों का आरोप है कि पैसा देने के बाद भी कई बार उन्हें समय पर मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिलता। एक माह पूरा होने के बाद बुलाए जाने पर भी कागजात अधूरे बताकर लौटा दिया जाता है। परिजन लगातार चक्कर काटने को मजबूर हैं।

कुछ लोगों ने बताया कि पैसे देने के बावजूद उन्हें दो-तीन सप्ताह और इंतजार करने को कहा गया, जिससे यह साफ है कि अवैध वसूली के बाद भी व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी नहीं है।
दलालों के सिर पर किसका हाथ?

अस्पताल परिसर में लंबे समय से सक्रिय इन दलालों को लेकर यह भी चर्चा है कि उन्हें अंदरूनी संरक्षण प्राप्त है। लोगों का कहना है कि बिना कर्मचारियों की मिलीभगत के काउंटर के बाहर इस तरह की दलाली संभव नहीं है।

दलाल न केवल आवेदकों को पहचान कर उनसे संपर्क करते हैं, बल्कि प्रक्रिया की पूरी जानकारी भी देते हैं, जिससे उनकी अंदरूनी पहुंच का संदेह और गहराता है।
मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह निशुल्क

इस मामले में रिम्स के अपर अधीक्षक डॉ. शैलेश त्रिपाठी ने कहा कि शिकायत मिलने पर दलालों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह निशुल्क है और इसके लिए किसी को भी पैसा देने की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई व्यक्ति पैसे की मांग करता है या दलाली करता है तो उसकी तत्काल शिकायत अस्पताल प्रशासन से की जाए।

हालांकि, सवाल यह है कि जब शिकायतें पहले से सामने आ रही हैं, तब भी दलाल किस संरक्षण में सक्रिय हैं। रिम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्था में इस तरह की अव्यवस्था न केवल आम लोगों की परेशानी बढ़ा रही है, बल्कि संस्थान की साख पर भी सवाल खड़े कर रही है।

अब देखना यह है कि प्रशासन की ओर से की जाने वाली कार्रवाई कागजों तक सीमित रहती है या वास्तव में दलालों और उनके संरक्षणकर्ताओं पर प्रभावी प्रहार होता है।
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