जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। विशेष लोक अभियोजक वरुण कौशिक ने बताया कि सीबीआई के द्वारा 11 अप्रैल 2017 को सलीम, साजिद एवं जुबैर के खिलाफ और 27 जुलाई 2018 को नरेश, सुनील और धर्मवीर के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था, और तभी से इसी अदालत में मामले का ट्रायल चल रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने बताया कि अदालत में हर 15वें दिन अर्थात महीने में दो तारीख लगती थी। सभी तारीखों पर आरोपित अदालत आते थे। तीन आरोपित हरियाणा की नूहं जेल में बंद थे। सभी गिरफ्तार आरोपितों की सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की थी।
पीड़ित परिवार को प्रदेश सरकार मकान दिया था
अभियोजक वरुण कौशिक ने बताया कि घटना के बाद प्रदेश सरकार ने नकदी के साथ दूसरे शहर में रहने के लिए मकान उपलब्ध कराया था। घटना के बाद से पीड़ित परिवार नोएडा से दूसरी जगह शिफ्ट हो गया था। पीड़िता के पिता निजी नौकरी बरेली में कर रह रहे हैं।
एसएसपी सहित 17 पुलिस कर्मी निलंबित हुए थे
हाईवे पर मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना में पुलिस की लापरवाही सामने आने पर प्रदेश सरकार ने 17 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया था।
उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी और अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सरकार की किरकिरी होने और पुलिस की लापरवाही सामने आने पर उन्होंने तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण, पुलिस अधीक्षक नगर राममोहन सिंह, सीओ नगर, कोतवाली देहात के प्रभारी निरीक्षक रामसेन सहित 17 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया था। |