सावधान! प्रदूषण से जल रही हैं आंखें? भूलकर भी न करें ये 8 गलतियां, वरना बढ़ सकता है इन्फेक्शन

Chikheang 1 hour(s) ago views 647
  

आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं ये बातें (Picture Courtesy: Freepik)



लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ आंखों में जलन, रेडनेस, खुजली और पानी आने की समस्या आम हो गई है। ये लक्षण हवा में मौजूद धूल, पीएम 2.5, धुएं के कण और हानिकारक केमिकल्स के सीधे संपर्क के कारण पैदा होती हैं। ऐसी स्थिति में कुछ गलतियां (Mistakes to Prevent Eye Damage) आंखों की तकलीफ को और बढ़ा सकती हैं, जिससे रिकवरी में देरी हो सकती है या गंभीर इन्फेक्शन का जोखिम पैदा हो सकता है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इन्हीं गलतियों के बारे में डॉ. पवन गुप्ता (सीनियर कैटेरेक्ट एंड रेटीना सर्जन, आई 7 हॉस्पिटल, लाजपत नगर एंड विजन आई क्लीनिक, नई दिल्ली) बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि प्रदूषण से आंखों में जलन या रेडनेस होने पर किन बातों से बचना चाहिए।
आंखों को रगड़ें नहीं

जलन या खुजली होने पर आंखों को मलने की प्रवृत्ति स्वाभाविक है, लेकिन यह सबसे हानिकारक आदत है। रगड़ने से आंखों की सतह पर माइक्रो-स्क्रैच आ सकते हैं, प्रदूषण के कण और गहराई में जा सकते हैं और रेडनेस बढ़ सकती है। इससे कॉर्निया को नुकसान पहुंचने का भी खतरा होता है।
बिना सलाह के आई ड्रॉप्स न इस्तेमाल करें

मार्केट में मिलने वाले कई रेडनेस रिलीविंग ड्रॉप्स अस्थायी आराम देते हैं, लेकिन उनमें मौजूद केमिकल्स लंबे समय में नुकसान पहुंचा सकते हैं। स्टेरॉयड वाले ड्रॉप्स तो बिना प्रिस्क्रिप्शन बिल्कुल न लें, क्योंकि इनसे ग्लूकोमा या मोतियाबिंद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डॉक्टर की बताई गई ल्यूब्रिकेटिंग (आर्टिफिशियल टियर) ड्रॉप्स ही प्रदूषण से होने वाली जलन में सुरक्षित हैं।
घरेलू नुस्खों पर न भरोसा करें

गुलाब जल, खीरे के स्लाइस या ठंडे दूध का इस्तेमाल बाहरी रूप से किया जा सकता है, लेकिन सीधे आंखों के अंदर किसी भी हर्बल या घरेलू तरल पदार्थ को डालना खतरनाक हो सकता है। नींबू का रस, एलोवेरा जेल या अन्य मिश्रण इन्फेक्शन पैदा कर सकते हैं और आंखों के पीएच स्तर को बिगाड़ सकते हैं।
लगातार स्क्रीन टाइम न बढ़ाएं

जब आंखें पहले से ही जल रही हों, तो कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी स्क्रीन पर लगातार देखने से स्थिति बिगड़ सकती है। स्क्रीन देखते समय पलक झपकाने की दर कम हो जाती है, जिससे आंखें और सूख जाती हैं। ब्रेक लें, 20-20-20 नियम (हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें) फॉलो करें।

  

(AI Generated Image)
लक्षणों को नजरअंदाज न करें

अगर जलन,रेडनेस, फड़कन या धुंधला दिखाई देने जैसे लक्षण 24 घंटे से ज्यादा बने रहें, या आंखों से पानी या पस निकलने लगे, तो तुरंत आई स्पशेलिस्ट से सलाह लें। यह केवल प्रदूषण नहीं, बल्कि बैक्टीरियल या वायरल कंजक्टिवाइटिस का संकेत भी हो सकता है।
बिना सुरक्षा के प्रदूषण में न निकलें

जब वायु गुणवत्ता खराब हो, तो धूप का चश्मा या एंटी-पॉल्यूशन प्रोटेक्टिव आई वियर पहनकर ही बाहर जाएं। चश्मा न केवल प्रदूषण के कणों को आंखों में जाने से रोकेगा, बल्कि हवा के सीधे संपर्क से होने वाली ड्राइनेस को भी कम करेगा।
कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से बचें

जब आंखों में जलन हो रही हो, तो कॉन्टेक्ट लेंस पहनने से समस्या बढ़ सकती है। लेंस पर प्रदूषण के कण जम सकते हैं और आंखों को और नुकसान पहुंचा सकते हैं। जब तक आंखें पूरी तरह ठीक न हों, चश्मे का इस्तेमाल करें।
आंखों को ठीक से साफ न करना

बाहर से आने के बाद आंखों के आसपास की त्वचा को माइल्ड क्लींजर और स्वच्छ पानी से जरूर साफ करें। लेकिन आंखों को तेज पानी के झोंके या साबुन के सीधे संपर्क में न लाएं।
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