गाजियाबाद: बूंद-बूंद को तरस रहे खोड़ा वाले, रात में सोने से पहले अगले दिन के लिए सताती है पानी की चिंता

Chikheang 2025-12-21 13:36:55 views 980
  

खोड़ा में खाली पड़ा पानी का टैंकर। जागरण



जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। अगले दिन पानी मिलेगा या नहीं, ये चिंता खोड़ा के लोगों को रातभर सताती रहती है। इससे लोग सो तक नहीं पाते हैं। लोगों का कहना है कि गंगाजल मिलने पर ही इस समस्या से पूरी तरह से राहत मिलेगी। वरना इस समस्या से जूझते रहेंगे। बिन पानी तक जरूरी कार्य तक नहीं कर पाते। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

खोड़ा में पानी की समस्या से लोगों को गृहस्थी चलाना भी मुश्किल हो रहा है। दिन निकलते ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है और दिन भर इस समस्या से जूझना पड़ता है। रात को सोते हुए फिर फिर से चिंता सताने लगती है। लोगों का कहना है कि बिन पानी के कपड़े धोने, नहाने समेत विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ता है। जो पानी खरीदते हैं उससे भी जरूरत पूरी नहीं हो पाती है।

सभी कार्य प्रभावित होने से बच्चों को स्कूल जाने और नौकरीपेशा लोगों को काम पर जाने में परेशानी होती है। लोगों ने बताया कि खोड़ा के लिए कई बार गंगाजल योजना बनाई गई है, लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। कागजों में ही योजना अटक कर रह गई है। जब भी चुनाव आते हैं योजना बना दी जाती है उसके बाद उसे निरस्त कर दी जाती है। जब तक पानी पर राजनीति होती रहेगी पानी नहीं मिलेगा।
आए दिन धरना-प्रदर्शन करते हैं लोग

गंगाजल की मांग को लेकर लोग आए दिन धरना-प्रदर्शन करते हैं। बीते दिनों लोगों ने प्रधानमंत्री कार्यालय तक जाने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने वहां तक नहीं जाने दिए। इसके अलावा विभिन्न संगठनों के नेतृत्व में लोग धरने भी दिए गए हैं। इसके बाद भी लोगों की कोई सुनवाई नहीं होती है। संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक पानी नहीं मिल जाता लड़ाई जारी रहेगी।




खोड़ा की सबसे बड़ी समस्या पानी की है। दिन में किसी तरह पानी का जुगाड़ करते हैं। इसके बाद फिर से अगले दिन के लिए पानी की चिंता सताने लगती है।


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-हरेंद्र सिंह, स्थानीय निवासी


बिन पानी के कपड़े तक नहीं धो पाते हैं। नहाने तक के लिए पानी नहीं मिल पाता। पानी खरीदकर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। कब पानी मिलेगा पता नहीं।


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-मोहित चौधरी, स्थानीय निवासी


आए दिन धरना-प्रदर्शन करने के बाद भी पानी नहीं मिल पा रहा है। गंगाजल की योजना बनी लेकिन कागजों से आगे नहीं बढ़ पा रही है। कागजों के बजाय जमीन पर काम होना चाहिए।


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-सोनू गुप्ता, स्थानीय निवासी


कपड़े धोने से नहाने तक के लिए पानी खरीदना पड़ रहा है। इससे घर का बजट पूरी तरह से खराब हो जाता है। इससे पूरे महीने आर्थिक स्थिति से जूझना पड़ता है।


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-सोमवती देवी, स्थानीय निवासी
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