सूरसदन में गोविंदा।
जागरण संवाददाता, आगरा। जो भाग्य में लिखा है, वह तो आपको अवश्य मिलेगा, लेकिन जो भाग्य में नहीं लिखा और यदि उसे पाना चाहते हो, तो माता-पिता की सेवा जरूर करना। यह प्रेरक संदेश आलीवुड अभिनेता हीरो नंबर वन गोविंदा ने सूरसदन प्रेक्षागृह में आयोजित यूपी आइकन अवार्ड समारोह के दौरान युवाओं को दिया। वे शनिवार को आगरा पहुंचे थे और कार्यक्रम में मेधावियों को सम्मानित करने के बाद लोगों की मांग पर भावुक अंदाज में संबोधित किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूरसदन में आए अभिनेता गोविंद, शहरवासियों संग किया संवाद
गोविंदा के संवाद में बीच-बीच में आने का प्रयास कर रहे प्रसंशकों से गोविंद ने मजाकिया लहजे में कहा, क्या कष्ट है प्रभु, एक-दो जाने कहां से बाहर निकल आए हैं, और फिर अपने संघर्ष भरे जीवन की चर्चा करते हुए बोले न थके हैं पांव कभी, न ही हिम्मत हारी है, मैंने देखे हैं कई दौर, आज भी सफर जारी है।
गोविंदा ने आगरा की भूमि को विशेष बताते हुए कहा कि यहां उन्हें अपार प्रेम मिला और हर जगह उन्हें मां का स्वरूप नजर आया। उन्होंने कहा कि लोग माया देखकर डर जाते हैं, लेकिन मैं नहीं डरा। मुझ जैसा अनपढ़ पहले हीरो बना और फिर हीरो नंबर वन बना, यह सिर्फ मेरी मां की कृपा है। न वास्तु दोष, न दृष्टि दोष हर-हर महादेव का नाद ही सब समस्याओं का समधान है।
बोले- माता-पिता की सेवा से मिलता है वो भी, जो भाग्य में नहीं लिखा होता
अपने जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आगरा में मौजूद गोविंदा ने कहा कि कला और संस्कृति से जुड़े लोग बार-बार जन्म ले सकते हैं। उन्होंने गंगा तट पर शूटिंग के दौरान का अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैंने वह प्रत्यक्ष देखा है, जिसका लोग केवल सपना देखते हैं। गोविंदा ने ब्राह्मण समाज का आभार जताते हुए कहा कि उनकी वजह से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।
संघर्षाें के दिनों को किया याद
अपने संघर्षों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मैं बेहद गरीब परिवार से आया, चाल में रहता था और शुरुआती दौर में लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। पूजा-पाठ में अधिक विश्वास करता हूं, तो मुझे पौंगा पंडित, डरपोक कहा गया, लेकिन उनकी बातों से नहीं डरा, बल्कि मैंने उस डर, उस दुख को ही खा लिया। उन्होंने संदेश दिया कि जीवन में कष्ट भले कितना भी अधिक और बड़ा, हो लेकिन अपने विश्वास और आस्था से उसे इतना छोटा कर दो कि वह स्वयं डर जाए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि पूजा-पाठ करने वालों को कमजोर न समझें, बल्कि उनका सम्मान करें। कार्यक्रम में गोविंदा के विचारों ने श्रोताओं को भावुक और प्रेरित कर दिया। |