जागरण संवाददाता, कानपुर। एलएलआर अस्पताल में नवनिर्मित बर्न यूनिट के निर्माण में गंभीर खामियों और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पांच सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है। रिपोर्ट में पूर्व और मौजूदा परियोजना प्रबंधक समेत सात इंजीनियरों व कर्मियों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
मुख्य सचिव के निर्देश पर जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने सीडीओ दीक्षा जैन की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
17 दिसंबर को सीडीओ के साथ टीम ने बर्न यूनिट का स्थलीय निरीक्षण किया था, जिसमें राजकीय निर्माण निगम द्वारा कराए गए कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए थे। कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक बर्न यूनिट की इमारत में ऐसी कई खामियां मिलीं, जो मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकती हैं।
जांच में पाया गया कि नवनिर्मित भवन की बीम से सरिया बाहर निकल रहा है। कई स्थानों पर दीवारों में सीलन है और टाइल्स की गुणवत्ता घटिया है। सीडीओ ने निर्माण इकाई के परियोजना प्रबंधक आरके गुप्ता से इस संबंध में सवाल भी किए थे लेकिन वह कोई जवाब नहीं दे पाए थे। जांच में यह भी पता चला कि चार करोड़ 31 लाख का भुगतान निर्माण निगम ने अपने विभागीय खातों में किया है।
एलएलआर की बर्न यूनिट का निर्माण पूरा होने के बावजूद डेढ़ साल से इसका हैंडओवर नहीं हो सका है। ऐसे में गंभीर रूप से झुलसे मरीजों को आधुनिक सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं एलएलआर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। बर्न यूनिट के संचालन और प्रशिक्षित स्टाप की अभी तक भर्ती नहीं हो सकी है। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इसे स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सीधा खिलवाड़ बताया है। कमेटी की रिपोर्ट में मौजूदा के साथ पूर्व में तैनात रहे परियोजना प्रबंधक और अवर व सहायक अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। जल्द ही यह जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से प्रमुख सचिव लोक निर्माण संजय चौहान को भेजी जाएगी।
यह होगी कार्रवाई
जांच कमेटी ने सिविल और इलेक्ट्रिक इकाई के अवर अभियंताओं के निलंबन के साथ ही कानूनी कार्रवाई की संस्तुति प्रदान की है। परियोजना प्रबंधक के खिलाफ शासकीय नियमावली नियम-7 तहत कार्रवाई की संस्तुति की गई है। इस नियम के तहत होने वाली कार्रवाई में आरोपित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। इसके साथ ही भुगतान और आय-व्यय के विवरण की जांच की जाती है। कोई भी अनियमितता मिलने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। इस दौरान आरोपितों की संपत्तियों का विवरण भी एकत्र किया जाता है।
ये हैं जिम्मेदार
- डीसी पंत, परियोजना प्रबंधक सेवानिवृत्त
- मनीष चंद्रा, परियोजना प्रबंधक, मुख्यालय में तैनात
- राकेश कुमार गुप्ता, परियोजना प्रबंधक वर्तमान
- संतोष यादव, परियोजना प्रबंधक, विद्युत
- संतोष कुमार, सहायक अभियंता सिविल
- श्याम बहादुर, अवर अभियंता सिविल
- सुनील कुमार, मुख्य लेखाकार
जांच रिपोर्ट में जिन अधिकारियों व अभियंताओं को दोषी पाया गया जाएगा, उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासकीय धन से बनने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। - जितेन्द्र प्रताप सिंह, जिलाधिकारी |