अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों को सिम सप्लाई करने वाले सिंडिकेट पर एसएसपी का एक्शन, 13 पर मुकदमा

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प्रतीकात्‍मक च‍ित्र



जागरण संवाददाता, बरेली। साइबर ठगों को सिम उपलब्ध कराने वालों के विरुद्ध एसएसपी ने अभियान शुरू कर दिया है। अभियान के दूसरे दिन तीन थानों में तीन और लोगों पर प्राथमिकी लिखी गई। आरोप है कि आरोपितों ने साइबर ठगी करने वालों को सिम उपलब्ध कराई थीं। एसएसपी का कहना हैं कि अभी पुलिस टीम यह भी जांच कर रही हैं कि लोगों को सिम उपलब्ध कराने वाले किसी एक ऐसे सिंडिकेट से तो नहीं जुड़े जो साइबर अपराधों के लिए काम करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यदि जांच में यह कोई सिंडिकेट निकलता है तो उस पर गैंगस्टर की कार्रवाई भी की जाएगी। अभी तक की जांच में सामने आया कि इन सभी सिम का इस्तेमाल दक्षिणी पूर्व एशियाई देशों (कंबोडिया, म्यांमार, लाओस आदि) में हो रहा था। एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि शुक्रवार को प्रेमनगर, बारादरी, फरीदपुर, भुता और क्योलड़िया थाने में 10 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी लिखी गई थी। इसमें बारादरी में पांच, क्योलड़िया में दो बाकी तीनों थानों में एक-एक व्यक्ति के विरुद्ध प्राथमिकी लिखी गई।

इसी क्रम में शनिवार को तीन अन्य थानों में तीन लोगों के विरुद्ध साइबर ठगों को सिम उपलब्ध कराने के आरोप में प्राथमिकी लिखी गई। इसमें इज्जतनगर थाने में छोटी बिहार निवासी तेजपाल मौर्य, बिथरी थाने में खजुरिया संपत निवासी हरिशंकर और फतेहगंज पश्चिमी थाने में चकरपुर उर्फ लमकन निवासी आकाश के विरुद्ध प्राथमिकी लिखी गई है।

पुलिस के मुताबिक, देश के अलग-अलग राज्यों और जिलों में जिन लोगों से साइबर ठगी की गई। उनमें इन्हीं नंबरों का इस्तेमाल किया गया जो बरेली से जारी किए गए थे। एसएसपी का कहना हैं कि आंशका हैं कि यह सभी सिम बेचने वाले लोग कहीं न कहीं किसी एक सिंडिकेट से भी जुड़े हो सकते हैं।

यदि जांच में यह बात सामने आई तो सभी के विरुद्ध गैंगस्टर की भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि पुलिस को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से सूचना मिली कि बरेली से खरीदे गए कुछ सिम का इस्तेमाल अन्य प्रदेशों में हुई साइबर ठगी में किया गया है। समन्वय केंद्र से मिली लिस्ट के अनुसार जांच के बाद लगातार कार्रवाई की जा रही है।
कभी अल्टरनेट नंबर से होता है खेल तो कभी एक साथ कई सिम होती हैं जारी

पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि, सिम बेचने वाले कई तरह से लोगों के नाम पर सिम जारी कर लेते हैं। इसमें सबसे प्रमुख दो तरीके हैं। सबसे पहले सिम जारी करते समय ग्राहक से एक अल्टरनेट (दूसरा) नंबर मांगा जाता है जो उस सिम के शुरू होने में ओटीपी आदि भेजने के काम आता है।

सिम विक्रेता उस अल्टरनेट नंबर की जगह अपना नंबर डालकर और सिम जारी कर लेते हैं। दूसरा तरीका एक बार किसी ग्राहक दस्तावेज पहुंचने पर उसका कई बार वेरिफिकेशन कराते हैं और जितनी वार वेरिफिकेशन होता है उतने ही सिम जारी हो जाते हैं।
विदेशों में कैसे होता है इस सिम का इस्तेमाल

साइबर एक्सपर्ट नीरज सिंह बताते हैं कि किसी दूसरे के नाम पर जारी सिम का इस्तेमाल दो तरह से हो सकता है। पहला दूर देशों में बैठे साइबर ठगों के पास इन सिम को किसी तरह से पहुंचाया जाए। वहां पर यह लोग इंटरनेशल रोमिंग के जरिए काल कर ठगी करते हैं। दूसरा और सबसे आसान तरीका भारत में ही सिम खरीदने वाला व्यक्ति इन्हें दूसरे नंबर से फोन कर नई सिम का नंबर बताए।

अब साइबर ठग वहां पर अपने फोन में ओटीपी लेकर वाट्स-एप को शुरू कर लें। इसके बाद उसी से साइबर ठगे करें। दूसरा तरीका काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। भारतीयों को ठगने के लिए साइबर ठग भारतीय फोन नंबरों का ही इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि विदेशी नंबर से काल करने पर जल्दी से किसी को फंसाया नहीं जा सकता।




यह भी पढ़ें- बरेली पुलिस का बड़ा एक्शन: फर्जी सिम बेचकर कंबोडिया-लाओस में ठगी कराने वाले 5 एजेंटों पर FIR
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