कृषि प्रशिक्षण केंद्र बाराचट्टी। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, बाराचट्टी (गया)। गया जिला अंतर्गत बाराचट्टी प्रखंड के कृषि फार्म दरबार में कृषि विभाग की 26 एकड़ भूमि पर बन रहा राज्यस्तरीय कृषि प्रशिक्षण केन्द्र अब लगभग तैयार होने के कगार पर है।
निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है और आने वाले समय में यह केन्द्र बिहार के किसानों के लिए आधुनिक कृषि ज्ञान का प्रमुख केंद्र बनने जा रहा है। इस परियोजना को सरकार की कृषि सुधार योजनाओं में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
इस कृषि प्रशिक्षण केन्द्र की पहचान यहां बनाए गए “मोंडल पहाड़” मॉडल से होगी। इस मॉडल के माध्यम से किसानों को यह बताया जाएगा कि पहाड़ी और पथरीले क्षेत्रों में भी वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर खेती कैसे की जा सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन, कृत्रिम वर्षा, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली जैसी तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण यहां दिया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि किसान कम पानी में अधिक और टिकाऊ उत्पादन कर सकें।
किसानों के लिए होगी आधुनिक सुविधाएं
कृषि विभाग, पटना के अधिकारियों के अनुसार यह केन्द्र पूरी तरह राज्यस्तरीय होगा। यहां एक बार में करीब 200 किसानों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है। प्रशिक्षण के लिए दो आवासीय भवन बनाए गए हैं, जहां 30 बेड की सुविधा उपलब्ध होगी।
इसके साथ ही कार्यालय भवन में 90 कुर्सियों की व्यवस्था सहित आवश्यक बेस कीमती फर्नीचर लगाए जाएंगे, ताकि प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चल सके।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सरकार ने आठ करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की है। जिला कृषि पदाधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि वर्ष 2026 में यह केन्द्र पूर्ण रूप से कार्य करना शुरू कर देगा।
फिलहाल सहायक निदेशक की नियुक्ति की जा चुकी है, लेकिन केन्द्र का कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण वे अभी मुख्यालय से ही दायित्व निभा रहे हैं। केन्द्र के चालू होते ही नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे।
स्थानीय ग्रामीणों में भी इस केन्द्र को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। गांव के संजय कुमार सिंह बताते हैं कि इस कृषि प्रशिक्षण केन्द्र के शुरू होने से क्षेत्र में खेती को नया आयाम मिलेगा।
किसानों को आधुनिक तकनीक की जानकारी तो मिलेगी ही, साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। निर्माण, रखरखाव, प्रशिक्षण सहायक, कार्यालय कार्य और अन्य सेवाओं से जुड़े कार्यों में स्थानीय युवाओं को काम मिलने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि बाराचट्टी जैसे पिछड़े और पहाड़ी क्षेत्र में इस तरह का केन्द्र खुलना बड़ी उपलब्धि है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि क्षेत्र का समग्र विकास भी होगा। खेती को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनाने की संस्कृति विकसित होगी, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी लाभान्वित होंगी।
आधुनिक खेती सींखेंगे किसान
गौरतलब है कि यह वही स्थान है, जहां पूर्व में लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में चरवाहा विद्यालय की स्थापना की गई थी। उस समय यह इलाका शिक्षा और विकास के मामले में काफी पिछड़ा था।
अब उसी भूमि पर आधुनिक कृषि प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण होना इस क्षेत्र के बदलते स्वरूप को दर्शाता है। जहां पहले बुनियादी जरूरतों की कमी थी, अब वहां किसान आधुनिक खेती की तकनीक सीखेंगे।
कुल मिलाकर, बाराचट्टी का यह कृषि प्रशिक्षण केन्द्र बिहार के किसानों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में उभर रहा है। यदि यह केन्द्र योजनानुसार संचालित होता है, तो न केवल पहाड़ी इलाकों में खेती की दिशा बदलेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और आर्थिक विकास को भी मजबूत आधार मिलेगा। |