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Yamuna Expressway accident: मथुरा में मंगलवार को यमुना एक्सप्रेसवे पर हुई कई वाहनों की टक्कर में मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। बुधवार को अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अब तक केवल पांच मृतकों की ही पहचान हो पाई है, क्योंकि अधिकतर शव बुरी तरह जल चुके थे और उनकी पहचान करना मुश्किल था।
आगरा के डिविजनल कमिश्नर शैलेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया, “प्रशासन दुर्घटना में मारे गए सभी लोगों की पहचान करने के लिए काम कर रहा है। 11 लोगों के डीएनए सैंपल लिए जा चुके हैं। आगरा और मथुरा के अस्पतालों में भर्ती घायलों का बेहतर उपचार प्रदान किया जा रहा है।“
अब तक जिन लोगों की पहचान हुई है, उनमें प्रयागराज के अखिलेंद्र प्रताप यादव (44), पश्चिमी दिल्ली के रामपाल (75), महाराजगंज के राम गोपाल (75), गोंडा के सुल्तान अहमद (62) और कानपुर देहात के मोहम्मद शमीम (50) शामिल हैं। शमीम उन बसों में से एक चला रहा था जो आग की चपेट में आ गईं। जिला प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि केवल अखिलेंद्र का शव उनके परिवार को सौंपा गया है और उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
मथुरा स्थित पोस्टमार्टम केंद्र के बाहर, शमीम के भाई राजा हुसैन ने मीडिया को बताया, “मेरा भाई कानपुर से दिल्ली जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस बस चला रहा था। हमने डीएनए सैंपल दे दिए हैं और शव का इंतजार कर रहे हैं।“
उन्होंने बताया कि शमीम परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और उसके पीछे उसकी पत्नी और तीन बच्चे हैं।
इस बीच, प्रशासन बाकी पीड़ितों की पहचान करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। हादसे के बाद जब काफी समय तक परिजनों का अपने लोगों से संपर्क नहीं हो पाया, तो कई परिवार मथुरा पहुंचने लगे। बुधवार तक पोस्टमार्टम हाउस पर 20 से ज्यादा लोग जमा हो गए थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि शव इतने ज्यादा जल चुके हैं कि उन्हें देखकर पहचान करना संभव नहीं है। अब पहचान के लिए सिर्फ डीएनए जांच ही एकमात्र तरीका बचा है।
अपने प्रियजनों की तलाश में जुटे लोगों में सुनील कुमार भी शामिल थे, जिनके भाई देवेंद्र (28) हमीरपुर से नोएडा के परी चौक के लिए एक निजी स्लीपर बस में सवार हुए थे, जहां वे एक लेबर असिस्टेंट के रूप में काम करते थे। सुनील ने बताया, “मैंने उनसे आखिरी बार सोमवार रात करीब 9 बजे बात की थी। उसके बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया है और उनका फोन भी बंद है। उनकी पत्नी और बच्चा उनके बारे में खबर का इंतजार कर रहे हैं और मेरे पिता ने अपना डीएनए सैंपल दे दिया है।”
संभल के हयातपुर इलाके से आए जगदीश पाल ने बताया कि उनका बेटा पंकज कुमार (30), जो एक बस चालक था, गोरखपुर से दिल्ली जा रहा था। कोई जानकारी न मिलने पर पाल ने भी अपने बेटे की पहचान की उम्मीद में अपना डीएनए सैंपल दिया।
फतेहपुर के राजकुमार अपने 35 वर्षीय भाई नरेंद्र की तलाश कर रहे थे, जो मिठाई की दुकान में काम करता था और कानपुर से दिल्ली जाने वाली एक डबल डेकर बस में सवार हुआ था। पोस्टमार्टम केंद्र में मौजूद कई अन्य लोगों की तरह उन्होंने भी बताया कि दुर्घटना के बाद से उनके भाई का कोई पता नहीं चला है।
वहीं, 42 वर्षीय पार्वती देवी का परिवार था, जिन्होंने खिड़की तोड़कर अपने दो बच्चों को बाहर धकेल दिया, जिससे उनकी जान बच गई, लेकिन टूटे हुए कांच के टुकड़े उनकी गर्दन में फंस जाने के कारण वे खुद कूद नहीं पाईं। उनके सबसे बड़े बेटे आकाश कुमार ने उनकी पहचान के लिए डीएनए का नमूना दिया है।
पोस्टमार्टम हाउस में जहां परिवार दर्द और बेचैनी के साथ इंतजार कर रहे थे, वहीं कुछ किलोमीटर दूर यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसे की जांच शुरू कर दी गई। हादसे के कारणों की जांच के लिए छह सदस्यों की एक टीम बनाई गई है। इस टीम में सिटी एडीएम, ग्रामीण एसपी, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर, आरटीओ अधिकारी, यमुना एक्सप्रेसवे के डेवलपर और ऑपरेटर जेपी इंफ्राटेक के एक सदस्य और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) के एक सदस्य शामिल हैं।
इसके अलावा सड़क और यातायात से जुड़ी जांच के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन की एक टीम भी हादसे की जगह पर मौजूद रही।
जांच समिति का नेतृत्व कर रहे मथुरा के एडीएम अमरेश कुमार ने कहा, “हम हादसे के संभावित कारणों की जांच कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया है कि यमुना के पास इस जगह सड़क पर एक मोड़ है और हादसे के समय वहां कोहरा भी छाया हुआ था।” उन्होंने आगे कहा कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले दुर्घटना में बचे हुए चालकों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
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