इंदौर में 2002 करोड़ की टैक्स चोरी मामले में नया मोड़, विभाग के 71 अधिकारियों पर कसेगा जांच का शिकंजा

deltin33 2025-12-11 12:06:43 views 92
  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



जेएनएन, इंदौर: सेंट्रल जीएसटी विभाग ने देश की सबसे बड़ी टैक्स चोरी के मामले में जांच और तेज कर दी है। एलोरा टोबेको कंपनी, दबंग दुनिया पब्लिकेशन और उनकी पांच सहयोगी कंपनियों पर लगभग दो हजार करोड़ रुपये के टैक्स वसूलने के बाद अब विभाग ने अपने 71 अधिकारियों के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सवाल यह उठता है कि सिगरेट फैक्ट्री पर हर दिन निरीक्षक तैनात होने के बावजूद टैक्स चोरी लगातार कैसे होती रही।

जानकारी के अनुसार, सेंट्रल एक्साइज के नियमों के तहत सिगरेट बनाने वाली फैक्ट्री में प्रतिदिन चार निरीक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य थी। जुलाई 2017 से जून 2020 के बीच कुल 76 अधिकारियों को सांवेर रोड स्थित एलोरा टोबेको कंपनी में ड्यूटी पर लगाया गया।
71 अधिकारी नियमित रूप से करते थे काम

इनमें से 71 अधिकारियों ने नियमित रूप से 8-8 घंटे की शिफ्ट में काम किया। उनकी जिम्मेदारी थी। हर दिन बनने वाली सिगरेट की संख्या, मशीनों का संचालन, कच्चे माल की आवक-जावक और तैयार माल का रिकॉर्ड तैयार कर कमिश्नरेट को सौंपना।

इसके बावजूद कंपनी की वास्तविक उत्पादन क्षमता को छिपाया गया। जांच में यह पाया गया कि कंपनी एक से दो कार्टन प्रतिदिन के उत्पादन का दावा कर टैक्स जमा करती थी, जबकि फैक्ट्री की क्षमता प्रतिदिन लगभग एक हजार कार्टन सिगरेट बनाने की थी।  

सेंट्रल जीएसटी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों के रहते हुए भी यह बड़ा खेल चलता रहा और अधिकारियों ने दिए गए बयानों में कहा कि उन्हें टैक्स चोरी जैसी कोई गतिविधि नजर नहीं आई। इस कारण मामला संदेह के घेरे में आ गया।
लॉकडाउन में कंपनी पर मारा था छापा

डीजीजीआई ने 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान एलोरा टोबेको पर छापा मारा था। अवैध सिगरेट, मशीनें और मिले अन्य सबूतों के आधार पर विभाग ने 268 दस्तावेजों, 92 बयानों और 45 गवाहों की गवाही के आधार पर 2002 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का आकलन किया और नोटिस जारी किया।

जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि कंपनी के कागजी मालिक भले ही श्याम खेमानी हों, लेकिन पर्दे के पीछे मुख्य संचालन किशोर वाधवानी करते थे। टैक्स चोरी के पैसे को घुमाने के लिए दबंगदुनिया पब्लिकेशन लिमिटेड के साथ-साथ शिमला इंडस्ट्री, विनायका फिल्टरेट, टेन इंटरप्राइजेज, बालाजी ट्रेडर्स और नम्रता इंपेक्स जैसी सहयोगी कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता था।  

इन कंपनियों के संचालक वाधवानी के करीबी या दबंग दुनिया से जुड़े कर्मचारी ही थे।
जांच में मिला गुप्त रास्ता

जांच में यह भी सामने आया कि फैक्ट्री में एक गुप्त रास्ता बनाया गया था, जिसके जरिए तैयार माल का आवागमन किया जाता था। कंपनी ने केवल 16 कर्मचारियों का दावा किया, जबकि जांच में 180 कर्मचारी साइट पर काम करते पाए गए।  

सात मशीनों में से अधिकतर को खराब या मेंटेनेंस में बताया जाता था, जबकि वास्तविक उत्पादन छिपाकर जेनरेटर से मशीनें चलाकर बिजली खपत रिकॉर्ड को भी कम दिखाया गया। इन सभी सबूतों ने कंपनी की दलीलों को निरस्त कर दिया और टैक्स चोरी प्रारंभिक रूप से प्रमाणित हो गई।

इसी दौरान राज्य जीएसटी विभाग की एंटी इवेज़न विंग-ए ने भी मेटल स्क्रैप कारोबार से जुड़ी टैक्स चोरी पर कार्रवाई शुरू की है। देवास नाका स्थित कापर पैलेस, सांवेर रोड स्थित टीएन स्क्रैप और मूसा स्टील पर छापे मारे गए।  

लगभग सात ठिकानों पर जांच में बिना बिल के स्क्रैप खरीदी और मिलों को बिक्री के सबूत मिले हैं। राज्य से बाहर के कारोबारियों से भी इनकी कनेक्टिविटी सामने आ रही है। जांच बुधवार देर रात तक जारी रही और गुरुवार शाम तक टैक्स चोरी का आंकड़ा सामने आने की उम्मीद है।
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