पिछले महीने भारत के पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश के कारण चर्चा में आए एक वकील पर मंगलवार को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर के अंदर हमला किया गया। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के अनुसार, वकील राकेश किशोर को कुछ अज्ञात लोगों ने निशाना बनाया और उन पर चप्पल से हमला करने की कोशिश की। वीडियो में दिखाई देता है कि एक छोटा समूह उनके पास आता है और उनकी ओर चप्पलें फेंकता है। तभी आसपास मौजूद लोग बीच-बचाव के लिए आगे आते हैं और स्थिति को काबू में करते हैं। हमलावरों के चेहरे वीडियो में साफ नज़र नहीं आ रहे, इसलिए उनकी पहचान फिलहाल पता नहीं चल सकी है।
जूता उछालने वाले वकील की पिटाई
यह घटना दिल्ली के सबसे व्यस्त कोर्ट परिसरों में से एक के अंदर हुई, जहां रोज़ बड़ी संख्या में वकील, मामले दर्ज करवाने वाले लोग, क्लर्क और अन्य स्टाफ आते-जाते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि हमलावर वहां तक कैसे पहुंचे या घटना के समय सुरक्षा कर्मी मौके पर मौजूद थे या नहीं। अभी तक अधिकारियों ने कोई आधिकारिक बयान भी जारी नहीं किया है, और न ही किसी व्यक्ति या समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली है। राकेश किशोर इससे पहले 6 अक्टूबर को सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तत्कालीन CJI बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की थी।
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वकील पर पहले ही हो चुकी है कार्रवाई
सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत राकेश किशोर को रोककर कोर्टरूम से बाहर ले जाया। बाहर आते ही उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा से जुड़े नारे लगाए। माना जाता है कि उनका यह गुस्सा उस मामले से जुड़ा था, जिसमें खजुराहो में सिर कटी विष्णु मूर्ति के पुनर्निर्माण पर जस्टिस गवई की एक टिप्पणी चर्चा में आई थी। किशोर ने इससे पहले भी पूर्व CJI गवई की उस टिप्पणी की खुलकर आलोचना की थी, जो मॉरिशस दौरे के दौरान बुलडोजर से गिराए गए ढांचे से संबंधित थी। सूत्रों के मुताबिक, यही बातें उनके विरोध को और भड़काने का कारण बनीं। कोर्टरूम की घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने किशोर का वकालत लाइसेंस निलंबित कर दिया, और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी।
बाद में अटॉर्नी जनरल ने राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना (क्रिमिनल कंटेम्प्ट) की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दे दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने बाद में स्पष्ट किया कि वह इस मामले में अवमानना की कार्यवाही आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। इसके साथ ही बेंच ने यह भी कहा कि कोर्टरूम में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना जरूरी है। |