शोभा यात्रा में सिर पर पवित्र ग्रंथ लेकर कालचक्र मैदान जाते वियतनामी श्रद्धालु। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, बोधगया। बोधगया में आयोजित 20वें त्रिपिटक चैंटिंग समारोह के अवसर पर मंगलवार की सुबह एक भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। यह धम्म यात्रा थाईलैंड बौद्ध मठ के मुख्य द्वार से प्रारंभ होकर कालचक्र मैदान तक पहुंची। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस यात्रा में 20 हजार से अधिक बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियां और उपासक-उपासिकाएं शामिल हुए। यात्रा की अगुवाई भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा ने हाथी पर विराजमान होकर की।
इस अवसर पर थाईलैंड की रायल बैंड की मधुर धुन के साथ श्रीलंका की कंद्यान नृत्य ट्रूप, म्यांमार का सांस्कृतिक ग्रुप, कम्बोडिया की अप्सरा नृत्य झांकी, भूटान, लाओस, वियतनाम, कोरिया, जापान, रूस, मंगोलिया, इंडोनेशिया, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका सहित 27 देशों की रंग-बिरंगी परंपरागत झांकियां प्रस्तुत की गईं।
(त्रिपिटक चैटिंग समारोह के शोभा यात्रा में थाईलैंड के श्रद्धालु- जागरण)
भारत के विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, लद्दाख आदि की झांकियों ने भी इस शोभा यात्रा की गरिमा को बढ़ाया। यात्रा वियतनामी, थाई और जापानी मंदिरों से होते हुए संपन्न हुई।
(बोधगया में त्रिपिटक चैटिंग समारोह में शामिल बांगबो डिक्सी व भारत सरकार के मंत्री फोटो- जागरण)
बीटीएमसी के सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी ने बताया कि त्रिपिटक चैंटिंग समारोह का उद्देश्य विश्व शांति, करुणा और सद्भाव का संदेश फैलाना है। यह समारोह पिछले 20 वर्षों से बोधगया में आयोजित किया जा रहा है, जो बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें बुद्ध के उपदेश और शिक्षाएं संकलित हैं। इस आयोजन को लेकर बोधगया में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 10 दिनों तक चलने वाले इस समारोह के दौरान कालचक्र मैदान के आसपास रूट को डाइवर्ट किया गया है। एटीएस की टीम कार्यक्रम स्थल का मुआयना करती नजर आई।
(त्रिपिटक चैंटिंग समारोह स्थल के पास गश्ती करती एटीएस की टीम- जागरण) |