deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Bulldozer Action: देहरादून की मलिन बस्तियों में हजारों परिवार, कार्रवाई का डर; पुनर्वास का इंतजार

LHC0088 2025-11-27 18:07:57 views 1043

  

हाई कोर्ट-एनजीटी के आदेशों के क्रम में ध्वस्तीकरण और पुनर्वास है प्रस्तावित. File  



विजय जोशी, देहरादून। नगर निगम ने काठबंगला में लगभग सवा सौ ईडब्ल्यूएस फ्लैट तैयार किए हैं और कुछ चयनित परिवारों को वहां स्थानांतरित करने की कवायद चल रही है। लेकिन, देहरादून में मलिन बस्तियों का वास्तविक विस्तार इससे कहीं बड़ा है। नगर निगम क्षेत्र में 129 मलिन बस्तियां चिह्नित हैं, जिनमें 40 हजार से अधिक भवन होने का अनुमान है। ऐसे में मौजूदा पुनर्वास व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। फिलहाल काठबंगला के निर्माणाधीन फ्लैटों में केवल कुछ दर्जन परिवारों की ही व्यवस्था हो पाएगी। शेष हजारों लोगों का भविष्य अब भी अनिश्चित है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

दरअसल, रिस्पना और बिंदाल समेत देहरादून की प्रमुख नदियों के किनारों पर बीते दो दशकों में तेजी से फैली मलिन बस्तियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। हाई कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों के क्रम में वर्ष 2016 के बाद किए गए सभी निर्माणों को ध्वस्त किया जाना है। जबकि 2016 से पूर्व के निर्माण भी यदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में हैं, तो उन्हें भी हटाया जाएगा।

इस दिशा में लंबे समय से विभागीय स्तर पर तैयारी कछुआ गति से चल रही है। सबसे बड़ी चुनौती हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानांतरित करने की है। जिसके लिए आज तक कोई व्यापक योजना धरातल पर नहीं उतरी। पिछले वर्षों में इन बस्तियों को हटाने की योजनाएं वोट बैंक की राजनीति के कारण भी पूरी तरह आगे नहीं बढ़ पाईं। सरकारों के पास न तो पर्याप्त संसाधन रहे, न ही कोई दीर्घकालिक पुनर्वास नीति तैयार की गई। इस कारण देहरादून की नदियों का तटीय क्षेत्र झुग्गियों और कच्चे मकानों से भरता गया और नदी श्रेणी की जमीन पर अवैध कब्जे लगातार बढ़ते रहे।
2016 के बाद के निर्माणों पर चलेगा बुलडोजर

जिलाधिकारी सविन बंसल की ओर से छह माह पहले विभिन्न विभागों के साथ की गई बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि रिस्पना-बिंदाल नदी तंत्र को अतिक्रमण मुक्त किया जाए। वर्ष 2016 के बाद के निर्माणों को चिह्नित कर ध्वस्त करने की कार्ययोजना तैयार की जाए और पुरानी बस्तियों के पुनर्वास के लिए ठोस प्लान बने। साथ ही बाढ़ परिक्षेत्र में स्थित वर्ष 2016 से पूर्व के निर्माणों पर भी कार्रवाई हो। नगर निगम और एमडीडीए पूर्व में छोटे स्तर पर कई बार अभियान चला चुके हैं, लेकिन बड़ी संख्या में मौजूद निर्माणों पर कार्रवाई अभी बाकी है।
पृथक राज्य बनने के बाद बस्तियों का विस्फोटक विस्तार

वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद दून में मलिन बस्तियां तेजी से बढ़ीं और देखते ही देखते बिंदाल और रिस्पना नदी के किनारे झुग्गियां कुकुरमुत्तों की तरह उग आईं। पिछले 25 वर्षों में इनका विस्तार इतना बढ़ गया कि कई स्थानों पर नदी तंत्र ही बाधित हो चुका है। इस दौरान हजारों हेक्टेयर सरकारी भूमि कब्जे की भेंट चढ़ गई। निगम की करीब 7,800 हेक्टेयर भूमि में से अब सिर्फ 240 हेक्टेयर ही बची है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह थे प्रोजेक्ट


पीएम आवास योजना के अंतर्गत ब्रह्मपुरी फेज-दो में 421, काठबंगला में 148, खाला बस्ती में 80, ब्रह्मपुरी फेज एक में 240, राम मंदिर कुष्ठ आश्रम में 27, शांति कुष्ठ आश्रम में 28, रोटरी कुष्ठ आश्रम में 34 और चक शाहनगर में 160 आवास बनाए जाने प्रस्तावित थे। इनमें से काठबंगला में 56, ब्रह्मपुरी फेज एक में 56, राम मंदिर कुष्ठ आश्रम में 27, शांति कुष्ठ आश्रम में 28 व रोटरी आश्रम में 34 आवास लगभग तैयार हो गए थे, लेकिन ज्यादातर का आवंटन नहीं हो सका था।

यह भी पढ़ें- देहरादून में फैल रहा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों का \“जाल\“, इन इलाकों में Bulldozer Action की तैयारी

यह भी पढ़ें- रुड़की में सरकारी जमीन पर बनी मजारों पर बुलडोजर एक्‍शन, पहले दी चेतावनी; फ‍िर गरजा \“पीला हाथी\“

यह भी पढ़ें- हरिद्वार में बुलडोजर एक्‍शन से हड़कंप, एक ही दिन में ढहा दी कई कॉलोनियां
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1210K

Credits

Forum Veteran

Credits
126607
Random