चंडिगढ़ को लेकर पंजाब में क्यों मचा सियासी घमासान (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब विधानसभा चुनाव के एक साल पहले चंडीगढ़ से संबंधित प्रस्तावित संविधान विधेयक पर मचे राजनीतिक घमासान पर स्पष्टीकरण जारी किया है। गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के परंपरागत संबंधों को परिवर्तित करने की कोई बात नहीं है और सिर्फ चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस प्रस्ताव पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। इस पर मुद्दे पर पंजाब में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस, आप और अकाली दल ने इसका पूरजोर विरोध किया है। दरअसल संसद के शीतकालीन सत्र के लिए सूचीबद्ध विषयों में 131वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा अनुच्छेद 240 में संशोधन करना शामिल है।
क्यों हो रहा विरोध?
जिससे चंडीगढ़ में अधिकारियों को सीधी नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को शक्ति मिल सके। अभी तक चंडीगढ़ में 60 प्रतिशत पंजाब और 40 फीसद हरियाणा के कर्मचारियों की नियुक्ति होती है। वैसे अहम पदों पर केंद्र शासित (यूटी) कैडर के अधिकारियों को भी नियुक्त किया जाता रहा है। इसे चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे के खिलाफ बताकर इसका विरोध शुरू हो गया।
पंजाब के राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया कि इस संविधान संशोधन विधेयक के पास होने से केंद्र सरकार को सीधे उप राज्यपाल को नियुक्त करने का अधिकार मिल जाएगा और पंजाब का दावा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि प्रस्तावित संविधान संशोधन पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और यह विचाराधीन है।
गृह मंत्रालय ने क्या कहा?
संसद के शीतकालीन सत्र मे इस आशय का कोई बिल प्रस्तुत करने की केंद्र सरकार की कोई मंशा नहीं है। गृह मंत्रालय के अनुसार \“\“ संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के लिए सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है और इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।\“\“
गृह मंत्रालय के अनुसार चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों से पर्याप्त विचार विमर्श के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा। इस पर मचे विवाद को शांत करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि इस विषय पर ¨चता की आवश्यकता नहीं है।
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