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बीडीओ थप्पड़कांड: डीएसपी जसरोटिया पर क्यों नहीं हुई FIR? जम्मू अदालत ने एसएचओ गांधी नगर को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

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अदालत ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने की बात कही है।



जागरण संवाददाता, जम्मू। बीडीओ थप्पड़कांड मामले की सुनवाई करते हुए सिटी जज जम्मू गुलाम मुर्तजा ने एसएचओ गांधी नगर को एक नोटिस जारी कर उनसे तत्कालीन एसडीपीओ सुनील सिंह जसरोटिया, उनके पीएसओ और उनके साथ मौजूद अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज न करने पर सफाई मांगी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह कार्रवाई अजहर खान की शिकायत के बाद की गई है, जो ब्लरक डेवलपमेंट आफिसर (बीडीओ) नगरोटा के तौर पर तैनात हैं। उन्होंने इस मामले में निलंबित एसडीपीओ सुनील सिंह जसरोटिया पर मारपीट, गलत तरीके से रोकने, धमकी देने, जाति के आधार पर गाली गलौज और सरकारी चुनाव ड्यूटी में रुकावट डालने का आरोप लगाया है।

अदालत ने सीनियर एडवोकेट असीम कुमार साहनी की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किया। अदालत ने एसएचओ को बीडीओ की ओर से दी गई लिखित शिकायत पर एक पूरी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। शिकायत के मुताबिक अज़हर खान को 11 नवंबर, 2025 को होने वाले नगरोटा विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए ट्रांसपोर्टेशन का नोडल ऑफिसर बनाया गया था।
गांधी नगर क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट रूट का निरीक्षण कर रहे थे खान

10 नवंबर को दोपहर करीब 12:10 बजे, खान और उनकी टीम गांधी नगर क्षेत्र में डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर के पास ट्रांसपोर्ट रूट का निरीक्षण कर रहे थे, तभी उनकी कार की मिनीबस के साथ हलकी सी लग गई।शिकायत में आरोप है कि डीएसपी सुनील जसरोटिया मौके पर पहुंचे और बार बार यह बताने के बावजूद कि खान लिखित आदेश के तहत इलेक्शन ड्यूटी पर हैं, उन्होंने चिल्लाना, गाली देना, डराना और अभद्र व्यवहार शुरू कर दिया।

खान ने आरोप लगाया कि डीएसपी जसरोटिया ने सबके सामने थप्पड़ और लात मारकर उन के साथ मारपीट की, जिससे उन्हें चोटें आईं। डीएसपी ने उन्हें सबके सामने बेइज्जत किया गया। उन्होंने आगे कहा कि जसरोटिया अपने पीएसओ और दूसरे पुलिसवालों के साथ मिलकर उन्हें जबरदस्ती पुलिस गाड़ी में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले गए, जहां उन्हें गलत तरीके से कैद किया गया,और पीटा गया। थाने में उन्हें गालियां दी गई और बुरे नतीजे भुगतने की धमकी दी गई।
फोन जब्त कर लिए, आधिकारिक चुनावी ड्यूटी करने से भी रोका

उनके साथी विलेज लेवल वर्कर अब्बास अली, जो ट्रांसपोर्ट टीम का हिस्सा थे, के साथ भी कथित तौर पर बदसलूकी और मारपीट की गई। शिकायत में यह भी कहा गया है कि दोनों को उनकी गुज्जर पहचान की वजह से जाति के आधार पर गालियां दी गईं। कथित तौर पर उनके फोन जब्त कर लिए गए और उन्हें अपनी आधिकारिक चुनावी ड्यूटी करने से रोका गया। शिकायतकर्ता के अनुसार यह घटना सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गई। खान ने इस मामले में पहले एसएचओ गांधी नगर और फिर एसएसपी जम्मू को लिखित शिकायत दी।

हालांकि कोई एफआइआर दर्ज नहीं हुई। इसके बाद बाद उन्होंने भारतीय न्याय संहिता के तहत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सीनियर एडवोकेट असीम साहनी ने दलील दी कि पुलिस का एफआइआर दर्ज करने से मना करना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। सिटी जज ने एसएचओ गांधी नगर को कार्रवाई न करने के बारे में स्टेटस रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया।
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