शिकायत करते वक्त न बनें ओवर-ड्रामेटिक (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हम सभी कभी न कभी शिकायत करते हैं कभी खाने की डिलीवरी लेट होने पर, कभी ऑटोवाला गलत रास्ता पकड़ ले, तो कभी किसी दोस्त की आदत से झुंझलाहट हो जाए। शिकायत करना इंसानी स्वभाव है और हर व्यक्ति (Complainer) शिकायत करता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लेकिन दिक्कत तब होती है जब हम हर छोटी बात पर शिकायत करने लगते हैं और लोग हमें “ओवरड्रामेटिक” समझकर इग्नोर करने लगते हैं। ऐसे में कई बार सचमुच की शिकायत को भी लोग नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अच्छे कंप्लेनर बनें। जी हां, शिकायत करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है (How to Complain Effectively), ताकि लोग आपकी शिकायत पर ध्यान दें। आइए जानें कैसे।
क्यों शिकायत करते हैं हम?
ज्यादातर शिकायतें तब जन्म लेती हैं जब उम्मीद और हकीकत के बीच बड़ा गैप हो जाता है, जैसे- खाना देर से पहुंचा, दोस्त ने आपकी बात सुनी ही नहीं, काम का प्रेशर बढ़ गया या ऑफिस बहुत दूर है आदि। शिकायत करना दरअसल हमारे अंदर जमा हुई फ्रस्ट्रेशन को रिलीज करने का तरीका है, जो काफी हेल्दी है। भावनाओं को दबाना स्ट्रेस, लो सेल्फ-एस्टीम और एंग्जायटी बढ़ा सकता है। इसलिए थोड़ी-बहुत शिकायत करना नॉर्मल है और हेल्दी भी।
इसके अलावा, शिकायत हमें वेलिडेशन भी देती है कोई कह दे “हां यार, सही में बहुत बुरा हुआ” तो मन हल्का हो जाता है। इससे आपको अच्छा भी महसूस होता है।
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लेकिन ज्यादा शिकायतें क्यों खराब हैं?
कुछ लोग हर समय शिकायत मोड में रहते हैं। ऐसे लोग न सिर्फ दूसरों को परेशान करते हैं, बल्कि खुद भी लगातार नेगेटिविटी में फंसे रहते हैं। इसका असर यह होता है लोग उनसे दूरी बनाने लगते हैं। उनकी बाते सुनने वाले भी नेगेटिव महसूस करने लगते हैं, दिमाग बार-बार उन्हीं बुरी बातों में उलझा रहता है और असली समस्या का हल कभी नहीं निकल पाता है।
अब सवाल आता है कि अच्छा कंप्लेनर कैसे बनें?
- पहले खुद को Observe करें- कितनी बार और किन बातों पर आप शिकायत करते हैं? क्या हर बार शिकायत करने के बाद आपको अच्छा महसूस होता है या और खराब? यह समझना पहला कदम है।
- सही ऑडियंस चुनें- हर व्यक्ति हर शिकायत सुनने के लिए परफेक्ट नहीं होता। ऑफिस की शिकायत बॉस के आगे नहीं कर सकते, रिलेशनशिप की शिकायतें हर दोस्त से नहीं करनी चाहिए और हर छोटी-छोटी बात सिर्फ एक ही इंसान को सुनाना भी बिल्कुल सही नहीं है। इसलिए लोगों के चेहरे पढ़ना सीखें। अगर कोई आई रोल करे या फोन निकाल ले समझ जाइए कि ब्रेक लेने का समय है।
- कभी-कभी खुद से बात करें- जर्नलिंग या खुद से जोर से बोलकर शिकायत करना भी बहुत कारगर है। कोई सुन भी न ले आपका मन हल्का हो जाएगा।
- शिकायत करने से पहले सोचें आप चाहते क्या हैं- आप शिकायत किस वजह से कर रहे हैं इस बारे में सोचें। क्या आपको वेलिडेशन चाहिए? या कोई बदलाव? या सिर्फ मन हल्का करना है?
- ‘Complaint Sandwich’ आजमाएं- यह तरीका बेहद असरदार है। पहले कुछ पॉजिटिव कहें और फिर अपनी शिकायत साफ शब्दों में बताएं। इसके साथ ये भी बताएं कि आप आगे क्या चाहते हैं। इसे यूं समझिए- “आपकी सर्विस हमेशा अच्छी होती है, लेकिन इस बार कुछ दिक्कत रही। अगली बार थोड़ा ध्यान देंगे तो अच्छा लगेगा।”
शिकायत करना गलत नहीं, बिना सोच-समझे शिकायत करना गलत है। अगर आप अपने शब्दों, अपनी ऑडियंस और अपने इरादे को सही दिशा दें, तो शिकायत न सिर्फ सुनी जाएगी, बल्कि उस पर एक्शन भी लिया जाएगा।
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