cy520520 • 2025-11-21 17:07:56 • views 1000
एंबुलेंस (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, इंदौर। मध्य प्रदेश की इंदौर महानगरी राज्य की वाणिज्यिक राजधानी कही जाती है। यहां के शासकीय अस्पतालों में बेहतर सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन स्थिति इसके विपरीत है। गुरुवार को खंडवा से रेफर की गई 8 माह की बच्ची सिद्धि को छह घंटे तक वेंटिलेटर नहीं मिला। दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक पिता इधर-उधर भटकता रहा। आखिरकार एमवाय अस्पताल के अधीक्षक के हस्तक्षेप पर उसे भर्ती किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
खंडवा की पंधाना तहसील के गांव हीरागांव निवासी किसान नीतेश दांगोदे ने बताया कि सिर में गंभीर समस्या और बेहोशी की हालत में गुरुवार सुबह 11 बजे बच्ची को खंडवा से रेफर किया गया था। दोपहर दो बजे एमवाय अस्पताल के न्यू चेस्ट वार्ड लेकर पहुंचे, लेकिन वेंटिलेटर नहीं मिला। निजी अस्पताल लेकर जाने की सलाह दी गई, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण नहीं ले जा सके। इसके बाद बच्ची को पीआईसीयू सर्जिकल आईसीयू में लेकर पहुंचे, लेकिन कह दिया गया कि यहां सर्जरी वाले बच्चों को ही भर्ती किया जाता है।
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दूसरे अस्पताल में भी नहीं मिला वेंटिलेटर
इसके बाद पीसी सेठी अस्पताल में बताया कि पांच वेंटिलेटर हैं, लेकिन एक भी खाली नहीं हैं। वहीं जब एमटीएच में संपर्क किया गया तो उनसे कह दिया गया कि सिर्फ 28 दिन तक के नवजात रखे जाते हैं। इस पूरे समय बच्ची 108 एंबुलेंस में ही तड़पती रही। आखिरकार एमवायएच अधीक्षक के संज्ञान में मामला आया और उनके हस्तक्षेप से बच्ची को चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के न्यू चेस्ट वार्ड में रात आठ बजे भर्ती किया गया और वेंटिलेटर लगाया। बच्ची की हालत गंभीर बताई जा रही है। |
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