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उन्नाव: बीघापुर के चर्चित दोहरे हत्याकांड में 45 साल बाद आया फैसला, दोषी को आजीवन कारावास

LHC0088 2025-11-20 02:08:07 views 941

  



जागरण संवाददाता, उन्नाव। बीघापुर के चर्चित सातन गांव में 45 साल पहले न्यायालय पेशी पर जाते समय गोलियों से भूनकर दो दोस्तों की हत्या में 45 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया तो स्वजन की आंख भर आई। कोर्ट ने आरोपित को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 50 हजार का अर्थदंड भी लगाया है। इस मुकदमे के दौरान दो आरोपितों की पहले ही मौत हो चुकी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बीघापुर क्षेत्र के ग्राम सातन निवासी बलदेव प्रसाद उर्फ वीरेंद्र उर्फ मान ने छह नवंबर 1980 को तहरीर देकर बताया था कि गांव के बलराम तिवारी की हत्या में उसके चाचा प्रयाग नारायन शुक्ल ने गवाही दी थी। चाचा की गवाही से हत्यारोपित विजय, राजबहादुर , बरजोर यादव निवासी सातन, स्वामी पांडेय निवासी ग्राम सुमरहा, ओमप्रकाश निवासी ग्राम कोलुहागाड़ा को आजीवन कारावास की सजा हुई थी।

इसी के बाद से विजय व अन्य आरोपित चाचा प्रयाग नारायण शुक्ल से रंजिश मानने लगे। जमानत पर छूटकर आने के बाद फिर से चाचा से विवाद किया। इस पर पुलिस ने दोनों पक्षों को पाबंद किया था। बलदेव के अनुसार वह अपने चाचा प्रयाग नारायन शुक्ल, सुंदर उर्फ दुर्गा, कल्लू यादव ग्राम गौरीखेड़ा और हरीशंकर, कृपाशंकर निवासी ग्राम सातन व चाचा की खेतीबाड़ी का काम देखने वाले अवधेश सिंह के साथ छह नवंबर 1980 को तारीख पेशी पर जा रहा था।

सुबह सात बजे मैकुतेली मार्ग पर मौरहाई नदी पुल से के पास पहले से घात लगाए बैठे विजय, राजबहादुर, गोमती शंकर, बृजलाल दीक्षित ग्राम सातन, बरजोर यादव, रामसेवक यादव, अयोध्या, फूल सिंह, रामसेवक यादव, पूत उर्फ जयशिव, मन बोधन शुक्ल, मधुर, लाखन, स्वामी पांडेय, ओमप्रकाश , गया प्रसाद, बच्चू उर्फ प्रेमशंकर, प्रयाग नारायन पांडेय ने हमला कर दिया।

विजय व राज बहादुर ने लाइसेंसी व अवैध असलहों से फायरिंग शुरू कर दी। गोली लगने से चाचा प्रयाग नारायन शुक्ला व साथ जा रहे हरीशंकर की मौत हो गई थी। मुकदमे की सुनवाई दौरान कई आरोपितों को न्यायालय से वर्ष 1981 में सजा हो गई। मुकदमे के आरोपित फूल सिंह, बरजोर यादव व ओम प्रकाश ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया।

सालों बाद मुकदमे की पुनः सुनवाई फास्ट ट्रैक न्यायालय में शुरू हुई। मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपित ओमप्रकाश व बरजोर यादव की मृत्यु हो गई थी। बुधवार को न्यायालय में अंतिम सुनवाई पूरी हुई। अभियोजन पक्ष से सरकारी वकील यशवंत सिंह की ओर से पेश की गई दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश स्वतंत्र प्रकाश ने आरोपित फूल सिंह को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।

दहेज हत्या में पति को सात साल की सजा
अजगैन क्षेत्र के धाराखेड़ा गांव के मजरा मकूर निवासी राजबहादुर की पत्नी ज्योति का शव छह जुलाई 2021 को फंदे से लटका मिला था। पिता ने पति पर दहेज हत्या का आरोप लगा पुलिस को बताया था कि उसने बेटी की शादी जून 2020 में की थी। शादी के बाद अतिरिक्त दहेज की मांग कर पति बेटी को प्रताड़ित करता था।

मांग पूरी न होने पर हत्या कर शव को लटका दिया। पुलिस ने तहरीर के आधार पर आरोपी के खिलाफ दहेज हत्या समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। बुधवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई पूरी हुई। न्यायाधीश महेंद्र कुमार सिंह ने एडीजीसी यशवंत सिंह की दलील व साक्ष्य के आधार पर पति राजबहादुर को सात साल के कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पर 15 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है।

किशोरी से दुष्कर्म में दोषी को 10 साल की सजा
उन्नाव: पुरवा कोतवाली पुलिस ने 12 सितंबर 2018 को क्षेत्र के पासाखेड़ा गांव निवासी अडगांव निवासी सचिन पर किशोरी से दुष्कर्म करने की धारा में रिपोर्ट दर्ज की थी। मुकदमे के विवेचक तत्कालीन उपनिरीक्षक महेंद्र चंद्र ने आरोपित के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य इकट्ठा कर 24 नवंबर 2018 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। बुधवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई पूरी हुई। न्यायाधीश ने दोषी को दस साल के कारावास की सजा सुनाई है।
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