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सिस्टम पर सवाल: गोरखपुर में हैंडओवर के बाद भी चल नहीं पाई DTI, धूल फांक रहीं मशीनें

cy520520 2025-11-13 19:38:02 views 696
  

डीटीआइ चरगांवा। जागरण  



जागरण संवाददाता, गोरखपुर। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) चरगांवा, गोरखपुर स्थित चालक प्रशिक्षण केंद्र में लगे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम को कार्यदायी संस्था ने हैंडओवर कर दिया है। इसके बाद भी ड्राइविंग की पाठशाला शुरू नहीं हो पाई। ड्राइविंग ट्रैक पर खड़े 40 टावर और सीसी कैमरे आनलाइन सिस्टम को मुंह चिढ़ा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

भवन में लगे सिमुलेटर व अन्य मशीनें धूल फांक रही हैं। परिवहन विभाग मैनुअल टेस्ट से ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर रहा है। मैनुअल टेस्ट की भी सिर्फ खानापूरी ही हो रही है। अप्रशिक्षित चालकों की वजह से मार्ग दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।  

एक ही छत के नीचे युवाओं को कुशल चालक बनाने व ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के उद्देश्य से शासन ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) चरगांवा, गोरखपुर में चालक प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण कराया है। 89.56 लाख के बजट से 15 अक्टूबर, 2020 को चालक प्रशिक्षण केंद्र के भवन का निर्माण पूरा हो गया। पांच साल बीत गए, लेकिन न सरकार की मंशा पूरी हुई और न युवाओं को चालक बनने का प्रशिक्षण ही आरंभ हो पाया।

आज भी भवन से सिर्फ परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस ही जारी किए जा रहे हैं। शहीद बंधू सिंह चालक प्रशिक्षण केंद्र (डीटीआइ) का भवन शो पीस बना हुआ है। युवा प्रशिक्षण के लिए भटकने को मजबूर हैं। उन्हें समुचित प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा। जानकारों के अनुसार गोरखपुर की तरह प्रदेश में 15 चालक प्रशिक्षण केंद्र खोले जाने हैं।

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एक माह का होगा प्रशिक्षण, अभ्यर्थियों के लिए हाॅस्टल
चालक प्रशिक्षण केंद्र के ड्राइविंग ट्रैक पर टावर, सीसी कैमरे और सिग्नल लग गए हैं। कंप्यूटर कक्ष में छोटे सिमुलेटर भी लग गए हैं। अन्य आवश्यक उपकरण भी लगा दिए गए हैं। कुशल चालक बनने के लिए एक माह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के अलावा ठहरने, नाश्ता और भोजन के लिए न्यूनतम शुल्क निर्धारित होगा। सुविधा संपन्न ड्राइविंग ट्रैक पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। दूर-दराज के अभ्यर्थियों के लिए हास्टल की सुविधा मिलेगी।

हल्के एवं भारी वाहनों के अभ्यास के लिए दो कंप्यूटर कक्ष होंगे। प्रथम तल पर सेंटर हेड कक्ष, सर्विलांस कक्ष, सभागार, अभ्यर्थियों के लिए क्लास रूम और 100 लोगों के लिए आडिटोरियम होगा। भवन के भूतल पर प्रयोगशाला होगी। कोई भी व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना लाइसेंस बनवा सकता है। प्रशिक्षण के साथ यातायात के नियमों की समुचित जानकारी भी दी जाएगी। निगरानी के लिए संभागीय निरीक्षक तैनात होंगे। संभागीय निरीक्षकों की देखरेख में ही प्रशिक्षण के बाद परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे।


कार्यदायी संस्था ने कंप्यूटराइज्ड सिस्टम को हैंडओवर कर दिया है। मुख्यालय स्तर पर गोरखपुर में चालक प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही चालक प्रशिक्षण और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कंप्यूटराइज्ड टेस्ट आदि के कार्य शुरू हो जाएंगे।
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- रामबृक्ष सोनकर, संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन), गोरखपुर
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