सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। असी गंगा घाटी के सेकू गांव में भालू ने महिला पर हला कर दिया। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। महिला को अस्पताल ले जाने में बंद सड़क ने रोड़ा डाला तो ग्रामीणों को उसे डंड-कंडी के सहारे ले जाने के लिए दो किमी की पगडंडियां नापनी पड़ी। वर्ष 2012-13 की आपदा के बाद भी असी गंगा घाटी में सड़क व संपर्क मार्गों की स्थिति स्थिति नहीं सुधर पाई है। जबकि इस मानसून सीजन में आई आपदा के चलते पांच माह से सड़क बंद होने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
दो किमी पैदल चलकर डंडी-कंडी के सहारे घायल को पहुंचाया गया अस्पताल
जिला मुख्यालय से महज 15 किमी की दूरी पर स्थित सेकू गांव के लोग आज भी वर्ष 1960 में बनी वन विभाग की सड़क के भरोसे हैं। यह सड़क भी वर्ष 2012-13 की आपदा के बाद जगह-जगह भूस्खलन की चपेट में हैं। बीते जून माह में लगातार वर्षा के चलते सड़क बंद होने से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। मंगलवार को गांव की प्यार देई को भालू ने हमलाकर बुरी तरह घायल कर दिया। ग्रामीण उसे डंडी-कंडी के सहारे अस्पताल ले गए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे एम्स ऋषिकेश भेजा गया।
जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर सेकू गांव को जोड़ने वाली सड़क पांच माह से बंद
क्षेत्र के पूर्व जिपं सदस्य कमल सिंह रावत व संजय पंवार ने बताया कि सड़क व संपर्क मार्गं को सही करने के लिए शासन-प्रशासन से कई बार मांग की जा चुकी है। उधर, वन क्षेत्राधिकारी बाड़ाहाट रेंज मुकेश रतूड़ी ने बताया कि मानसून काल में लगातार वर्षा के चलते सड़क बंद है, जिसे जल्द खुलवाया जाएगा, संगमचट्टी से सेकू तक वन विभाग की सड़क है, वन विभाग समय-समय पर सड़क की मरम्मत करवाता रहता है।
सुरक्षित पैदल आवाजाही लायक भी नहीं सड़क
डॉ. राधेश्याम खंडूड़ी बताते हैं कि वर्ष 1910 में राजशाही के समय गंगोरी से डोडीताल तक 31 किमी पैदल रास्ता बनाया गया था। वर्ष 1960 में वनोपज के दोहन के लिए संगमचट्टी से सेकू गांव होते हुए डोडीताल से पांच किमी पीछे मांझी तक भारी वाहनों के लिए सड़क तैयार की गई, लेकिन समय के साथ सड़क का विकास होने की बजाय सड़क की हालत बदतर होती चली गई। अब हाल ये है कि संगमचट्टी से सेकू गांव तक का हिस्सा भी पैदल आवाजाही लायक सुरक्षित नहीं बचा है। |