मासिक धर्म प्रमाण मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में महिला सफाई कर्मचारियों से कथित तौर पर उनके मासिक धर्म को तस्वीरों के जरिये साबित करने के लिए कहे जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर केंद्र और हरियाणा सरकार को कथित घटना की विस्तृत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
मासिक धर्म प्रमाण मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य, गरिमा, शारीरिक स्वायत्तता और निजता के अधिकार का हनन न हो। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने बताया कि एमडीयू से जुड़े तीन लोगों पर 31 अक्टूबर को यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था। इन लोगों पर आरोप है कि उन्होंने महिला सफाई कर्मचारियों से तस्वीरों के जरिये यह साबित करने को कहा कि उन्हें मासिक धर्म हो रहा है।
एससीबीए ने दायर की याचिका
इस बीच, विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि उसने दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर दिया है, जिन्हें हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के माध्यम से अनुबंध पर नियुक्त किया गया था। घटना की आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं।
कथित घटना 26 अक्टूबर को हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष द्वारा परिसर का दौरा करने से कुछ घंटे पहले हुई। तीन महिला सफाई कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि उनके अस्वस्थ होने के बावजूद उन्हें परिसर की सफाई के लिए मजबूर किया गया और फिर उनसे यह साबित करने के लिए कहा कि वे मासिक धर्म से गुजर रही हैं।
एमडीयू के तीन लोग आरोपी
एमडीयू में 11 वर्षों से कार्यरत होने का दावा करने वाली एक सफाई कर्मचारी ने आरोप लगाया-हमने उनसे कहा कि हम मासिक धर्म के कारण अस्वस्थ हैं। इसलिए हम तेजी से काम नहीं कर सकते।
लेकिन, उन्होंने हमसे इसे साबित करने के लिए (मासिक धर्म से) संबंधित तस्वीरें भेजने को कहा। जब हमने इन्कार किया, तो हमारे साथ दुर्व्यवहार किया गया और नौकरी से निकालने की धमकी दी गई।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |