अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की याचिका पर विधानसभा ने जताई आपत्ति।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा फांसीघर विवाद पर जारी समन को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका का विधानसभा ने अदालत में विरोध किया है।
बुधवार को विधानसभा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष कहा कि याचिका पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि यह समन केवल फांसीघर की प्रामाणिकता का पता लगाने में समिति की सहायता के लिए जारी किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विधायी कामकाज का कोई लिंक नहीं
सुनवाई के दौरान आप नेताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि याचिका विचारणीय है। उन्होंने कहा कि यह समिति द्वारा शक्ति का बलपूर्वक प्रयोग है, क्योंकि विशेषाधिकार समिति का एक ही काम यह निर्धारित करना कि विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है या नहीं।
शादान ने कहा कि इस तरह के समन जारी करने की कसौटी यह है कि विधानसभा के विधायी कामकाज के लिए इसकी आवश्यकता होनी चाहिए। यह दिखाना उनका दायित्व है कि फांसीघर विधानसभा के आवश्यक कामकाज से जुड़ा है। इस फांसीघर का सदन के विधायी कामकाज से क्या लेना-देना है?
वहीं जयंत मेहता ने कहा कि यह जल्दबाजी में काम करने का एक उत्कृष्ट मामला था और नोटिस विशेषाधिकार हनन के लिए नहीं, बल्कि फांसीघर की प्रामाणिकता का पता लगाने में समिति की सहायता के लिए है। उन्होंने कहा कि समिति केवल तथ्यों की जांच कर रही है और जांच पूरी तरह से तथ्यात्मक है।
इसीलिए नोटिस दिया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने कहा कि समन किसी व्यक्ति के विरुद्ध नहीं और नोटिस चार लोगों को मिला है। इनमें से दो ने इसे चुनौती नहीं दी है। उन्होंने कहा कि अगस्त 2022 में पुनरुद्धार किए गए फांसीघर की प्रामाणिकता की जांच की जाएगी।
24 नवंबर को होगी सुनवाई
दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 24 नवंबर के लिए तय कर दी। याचिका में केजरीवाल और सिसोदिया ने तर्क दिया है कि विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही किसी शिकायत, रिपोर्ट या विशेषाधिकार हनन या अवमानना के प्रस्ताव पर आधारित नहीं है। |