बिहार चुनाव की मतगणना 14 को। सांकेतिक तस्वीर
नीरज कुमार सिंह, गोपालगंज। छह नवंबर को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद अब बैकुंठपुर की सियासत पूरी तरह मतगणना के इंतजार में ठहर गई है।
हर गली, चौक-चौराहे और चाय की दुकानों पर सिर्फ एक ही चर्चा है कि कौन बनाएगा इस बार सरकार, और कौन संभालेगा बैकुंठपुर की बागडोर?
14 नवंबर को होने वाली मतगणना से पहले क्षेत्र में राजनीतिक उत्सुकता चरम पर है। लोग अपनी-अपनी धारणाएं बना रहे हैं।
कहीं महागठबंधन उम्मीदवार एवं वर्तमान विधायक प्रेमशंकर प्रसाद की पुनः जीत की चर्चा हो रही है, तो कहीं एनडीए समर्थित भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी के बाजी मार लेने के कयास लगाए जा रहे हैं।
चाय की दुकानों से लेकर खेतों की मेड़ों तक हर जगह चुनावी समीकरणों की चर्चा जोरों पर है। समर्थक अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में सोशल मीडिया से लेकर जनसभाओं तक माहौल बनाने में जुटे हैं।
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि इस बार मुकाबला बेहद कांटे का और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। प्रेमशंकर प्रसाद अपने कार्यकाल के दौरान किए गए विकास कार्यों, सड़क और शिक्षा योजनाओं के बूते दोबारा जनता का विश्वास जीतने की कोशिश में हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मिथिलेश तिवारी अपने संगठनात्मक नेटवर्क, जनसंपर्क और केंद्र सरकार की योजनाओं को आधार बनाकर परिवर्तन का नारा दे रहे हैं।
वोटिंग के बाद राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है। समर्थक अब बूथवार मत प्रतिशत और जातीय समीकरणों के आधार पर अपनी गणनाएं कर रहे हैं।
हर कोई यही कह रहा है कि इस बार का मुकाबला बेहद टक्कर का है। प्रशासनिक स्तर पर मतगणना की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश पर मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल तैनात रहेगा।
अब सबकी निगाहें 14 नवंबर की सुबह पर टिकी हैं, जब ईवीएम की सील टूटेगी और जनता का फैसला सामने आएगा। उस दिन यह साफ हो जाएगा कि बैकुंठपुर ने फिर से विकास और अनुभव पर भरोसा जताया है या इस बार बदलाव का रास्ता चुना है। |