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अर्जुन के पौत्र ने यहां किया था ऋषि का अपमान...कलयुग की शुरुआत भी यहीं से, अब पर्यटन विभाग सहेजेगा धरोहर

cy520520 2025-11-12 21:07:17 views 286

  

परीक्षितगढ़ स्थित श्रंगी ऋषि आश्रम। जागरण



जागरण संवाददाता, मेरठ। महाभारत सर्किट के अंतर्गत मेरठ के परीक्षितगढ़ स्थित शृंगी ऋषि आश्रम के पर्यटन विकास के लिए शासन ने दो करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि महाभारत काल से जुड़ी कई घटनाएं यहां हुई हैं। मान्यता है कि यहीं से कलयुग की शुरुआत हुई थी। भागवत महापुराण और महाभारत में ऋषि शृंगी का वर्णन है। इस आश्रम में विभिन्न राज्यों से श्रृद्धालुओं का आगमन होता है। वर्ष 2024 में 37,78,066 पर्यटकों ने मेरठ का भ्रमण किया था। वर्ष 2025 के जनवरी से जून तक 10,60,531 पर्यटकों ने मेरठ का भ्रमण किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

धनराशि स्वीकृत होने से जल्द ही कार्य भी शुरू हो जाएगा
जागरण संवाददाता, मवाना : पर्यटन विभाग द्वारा स्वीकृत की गई दो करोड़ रुपये की राशि से शृंगी ऋषि आश्रम में सौंदर्यीकरण, प्रकाश व्यवस्था, सूचना केंद्र, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, विश्राम स्थल का निर्माण आदि सुविधाएं विकसित की जाएंगी। धनराशि स्वीकृत होने से जल्द ही कार्य भी शुरू हो जाएगा। जनपद मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर परीक्षितगढ़ कस्बे में महाभारतकालीन श्रृंगऋषि आश्रम है। जहां श्रृंगऋषि और ऋषि शमीक की प्रतिमा के साथ तालाब और कई और भी धरोहर भी हैं। जो पर्यटकों में जिज्ञासा पैदा करती है। यहां स्थित यज्ञशाला पर पदचिन्ह के निशान भी इतिहास को वर्तमान से जोड़ते हैं। द्वापर युगीन पौराणिक भूमि को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की मांग काफी समय उठाई जा रही थी। इसके लिए अखिल विद्या समिति परीक्षितगढ़ को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने के साथ-साथ श्रृंग ऋषि आश्रम के सौंदर्यकरण की मांग उठा चुके हैं।  

यहीं श्रृंग ऋषि ने राजा परीक्षित को दिया था श्राप
भागवत महापुराण और महाभारत में भी ऋषि श्रृंग का वर्णन है। मान्यता है, कि अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित शिकार करने के लिए जंगल की ओर निकले थे। उन्हें अचानक तेज भूख और प्यास लगी। परेशान हालत में वो एक आश्रम में पहुंचे, तो उन्होंने ऋषि शमीक को तपस्या में लीन देखा। राजा परीक्षित ने ऋषि शमीक को कई बार उठाने का प्रयास किया, लेकिन जब वह तपस्या से नहीं जागे। तत्पश्चात, परीक्षित ने पास ही पड़े एक मृत सांप को ऋषि शमीक के गले में डाल दिया। बावजूद उनकी तपस्या भंग नहीं हुई। कथानक अनुसार, यह नजारा ऋषि शमीक के शिष्य श्रृंग ने देख लिया। उनके अपमान से क्रोधित श्रृंग ने कौशिकी नदी के जल से आचमन करते हुए राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया।

हस्तिनापुर में बनेगा बाल गुरुकुल एवं आयुर्वेदिक चिकित्सालय
मेरठ। बाल गुरुकुल एवं आयुर्वेदिक चिकित्सालय का निर्माण हस्तिनापुर के ग्राम सैफपुर में होगा। चिकित्सालय में यह उपचार आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, एक्यूप्रेसर, पंचकर्म और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से किया जाएगा। साथ ही चिकित्सालय में गरीब मरीजों का उपचार निशुल्क होगा। यह चिकित्सालय करीब 10 बीघा भूमि में बनकर तैयार होगा। हस्तिनापुर के ग्राम सैफपुर कर्मचंदपुर में गुरुद्वारा मार्ग पर जीवन दायनि हेल्थ यूनिवर्स एवं उत्कृर्ष आर्यवंशम् गुरुकुल शिलान्यास मुख्य ट्रस्टी चौधरी कल्याण सिंह, उनकी पत्नी कमलेश चौधरी एवं पौत्री तनिष्का चौधरी ने संयुक्त रूप से शिलान्यास की ईंट रखकर किया। प्रवक्ता गजेंद्र पायल का कहना है कि नवनिर्मित चिकित्सालय में बाल गुरुकुल और चिकित्सालय दोनों ही संचालित होंगे। ट्रस्टी चौधरी कल्याण सिंह का कहना है कि गुरुकुल केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, वरन ऐसा स्थान होगा, जहां बच्चों को वैदिक ज्ञान, संस्कार और नैतिक मूल्यों की शिक्षा प्रदान की जाएगी।
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