बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और जदयू नेता नीतीश कुमार। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। पूर्णिया जिले की सातों विधानसभा सीटों पर मतदान के बाद राजनीतिक समीकरण एनडीए के पक्ष में झुकते दिख रहे हैं। सात में से छह सीटों पर एनडीए की जीत तय मानी जा रही है। पूर्णिया सदर पर कांटे की टक्कर है। पिछली बार एनडीए को चार, कांग्रेस को एक और एआईएमआईएम को दो सीटें मिली थीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
धमदाहा से जदयू प्रत्याशी सह मंत्री लेशी सिंह की जीत तय मानी जा रही है। राजद ने जातीय समीकरण साधने के लिए पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा को उतारा था, मगर लेशी सिंह के विकास कार्य और उनकी सर्वमान्य छवि ने समीकरण बिगाड़ दिया। मुस्लिम बहुल बूथों पर भी उन्हें पर्याप्त समर्थन मिला।
बनमनखी में भाजपा के कृष्ण कुमार ऋषि और कांग्रेस के देवनारायण रजक के बीच सीधी टक्कर रही, लेकिन एनडीए की स्थिति मजबूत दिखी।
कसबा में कांग्रेस के टिकट बंटवारे से उपजा असंतोष और एआईएमआईएम की मौजूदगी से मुस्लिम वोट बंटे, जिससे लोजपा(रा) के नितेश कुमार सिंह का पलड़ा भारी हुआ। भाजपा के बागी के कमजोर पड़ने ने भी एनडीए को राहत दी।
रुपौली में जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल को बीमा भारती और निर्दलीय शंकर सिंह से चुनौती थी, परंतु बीमा भारती अपेक्षित सेंधमारी नहीं कर सकीं। जातीय समीकरण जदयू के पक्ष में गया।
पूर्णिया सदर में भाजपा के विजय खेमका और कांग्रेस के जितेंद्र कुमार में 50-50 की टक्कर है। जितेंद्र की पत्नी महापौर होने से शहरी वोटों में असर दिखा, पर यादव नेतृत्व की अधिकता ने समीकरण को पेचीदा बना दिया।
अमौर और बायसी में मुस्लिम वोटों के बिखराव से जदयू और भाजपा के लिए अप्रत्याशित अवसर बने। अमौर में जदयू के सबा जफर और बायसी में भाजपा के बिनोद कुमार को बढ़त के संकेत हैं।
कुल मिलाकर, राजनीतिक हवा एनडीए की ओर झुकती नजर आ रही है, महागठबंधन को असंतुलन का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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