सात नवंबर को मुंबई में नारियल फोड़कर जागृति यात्रा का शुभारंभ करते संस्थापक (सांसद देवरिया) शशांक मणि व सीईओ आशुतोष कुमार। सौ. जागृति
सुधांशु त्रिपाठी, जागरण, देवरिया। भारत में इन दिनों एक विशेष रेलगाड़ी चल रही है। लेकिन, यह कोई आम रेल नहीं है। यह उन सपनों को लेकर चलती है, जो न सिर्फ देश के युवाओं बल्कि विदेशों से आए प्रतिभागियों की आंखों में चमक रहे हैं। नाम है…जागृति यात्रा 2025। इसका उद्देश्य है भारत की उद्यमशील आत्मा को समझना और जगाना।
सात नवंबर को मुंबई से शुरू हुई यह यात्रा 15 दिनों में 8000 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस दौरान यह 12 राज्यों से गुजरते हुए हुबली, कोच्चि, मदुरै, श्रीसिटी, विशाखापट्टनम, नालंदा, देवरिया, दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद जैसे शहरों तक पहुंचेगी। इसमें देश व विदेश से आए 500 से अधिक युवा यात्री शामिल हैं। कोई आस्ट्रेलिया से, कोई संयुक्त अरब अमीरात से, कोई पूर्वोत्तर भारत से तो कोई केरल से। सभी के बीच एक साझा भावना है, भारत को समझना, और उस समझ से परिवर्तन की नई कहानी लिखना।
इस वर्ष तीन देशोंं से प्रतिभागी हुए शामिल
2008 से अब तक दुनिया के 23 देशों के युवा इस यात्रा का हिस्सा बन चुके हैं। इस साल इसमें तीन देशों से प्रतिभागी शामिल हुए हैं। वे भारत की सामाजिक संरचना, ग्रामीण उद्यमिता व सामुदायिक नवाचारों को नजदीक से समझने आए हैं। आस्ट्रेलिया से आए डिकी कुरर कहते हैं कि भारत की खूबसूरती को देखनी हो तो यहां आना पड़ेगा। गांवों के लोग अपने दम पर बदलाव लाने की ताकत रखते हैं। संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी से आए यात्री गणेश नागरे कहते हैं कि हमने भारत को विकासशील देश के रूप में जाना था, लेकिन यहां हमने पाया कि भारत असल में विकसित सोच का देश है।
ट्रेन सोचने का तरीका बदल देती है यह ट्रेन
जागृति के सीईओ आशुतोष कुमार बताते हैं कि यह यात्रा कोई सैर-सपाटा नहीं है, बल्कि युवाओं के लिए एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय है, जहां सीखने का हर अध्याय ट्रेन के डिब्बों में लिखा जाता है। दिन में यात्रियों के लिए सत्र होते हैं। जैसे आइडिएशन से पायलट तक, टीम बिल्डिंग, सोशल फाइनेंसिंग और मार्केटिंग। रात को बिज ज्ञान ट्री नामक प्रतियोगिता होती है, जिसमें युवा जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, स्वच्छता जैसे विषयों पर वास्तविक व्यावसायिक माडल बनाते हैं।
यात्रा के पड़ाव, जहां मिलती है नई प्रेरणा
यात्री हुबली में सेल्को के माध्यम से टिकाऊ ऊर्जा व कला-संस्कृति के समन्वय को समझते हैं। केरल के कोच्चि में युवा केरल स्टार्टअप मिशन के पैनलों में भाग लेकर देश के सबसे बड़े स्टार्टअप मेला का अनुभव करते हैं। मदुरै में यात्री सामाजिक सेवा व व्यावसायिक दक्षता के संतुलन का सशक्त उदाहरण अरविंद आई केयर के माडल को समझते हैं।
नालंदा में इतिहास व आधुनिक नवाचार पर संवाद होता है। इसके बाद देवरिया में जागृति उद्यम केंद्र में ग्रामीण भारत की वास्तविकता व बिज ज्ञान ट्री फाइनल का मंथन होता है। राष्ट्रीय नीति और संवाद के लिए दिल्ली में गूंज के संस्थापक अंशु गुप्ता जैसे रोल माडल से मुलाकात होती है। जयपुर में एनके चौधरी के साथ बातचीत के बाद यह 15 दिवसीय यात्रा अहमदाबाद के गांधी आश्रम में संपन्न होती है।
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आठ हजार से अधिक युवा बने यात्री
जागृति यात्रा की शुरुआत 2008 में हुई थी। तब से अब तक 8000 से अधिक युवा इस यात्रा से जुड़ चुके हैं। इनमें से कई ने अपने क्षेत्रों में सामाजिक उद्यम स्थापित किए। किसी ने ग्रामीण शिक्षा का माडल बनाया, किसी ने महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा, तो किसी ने पर्यावरण संरक्षण को व्यावसायिक अवसर में बदला। जागृति से निकले कई युवाओं ने आगे चलकर स्टार्टअप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई।
कई देशोंं ने अपनाया भारत का यह मॉडल
भारत की जागृति यात्रा का विचार अब सात से अधिक देशों में दोहराया जा रहा है। अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण–पूर्व एशिया में इम्पैक्ट जर्नी, सोशल एंटरप्रेन्योरशिप रोडशो और फेलोशिप–इमर्शन माडल के रूप में इसका स्वरूप विकसित हुआ है। इन देशों ने युवाओं को सामाजिक उद्यम व नवाचार के माध्यम से परिवर्तन से जोड़ने की भारतीय अवधारणा को अपनाया है।
जागृति यात्रा 2025 एक नजर में:
शुरुआत-मुंबई, 7 नवंबर
समापन-अहमदाबाद, 21 नवंबर
दूरी-लगभग 8000 किमी
प्रतिभागी-500 से अधिक, देश-विदेश के युवा
संस्थापक-शशांक मणि (सांसद, देवरिया)
उद्देश्य-उद्यमिता के माध्यम से सामाजिक बदलाव
अब तक का प्रभाव
8000 से अधिक पूर्व यात्री
200 से अधिक सामाजिक उद्यम स्थापित
07 देशों में जागृति यात्रा माडल लागू
40000 से अधिक आवेदन प्रतिवर्ष
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प्रमुख ठहराव
मुंबई, हुबली, कोच्चि, मदुरै, श्रीसिटी, विशाखापट्टनम, गंजम (बहरामपुर), नालंदा, देवरिया, दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद
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जब मैंने इस यात्रा की नींव रखी थी, तब सोच यही थी कि भारत का असली विकास वहां से शुरू होगा, जहां एक युवा अपने गांव में रोजगार देने वाला बने, खोजने वाला नहीं। आज यह देखकर गर्व होता है कि वही सोच अब एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुकी है।
-शशांक मणि, संस्थापक, जागृति यात्रा |