गोरखधाम की भीड़ को सहेजने के लिए स्थायी समाधान ढूढ रहा लखनऊ मंडल
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर जंक्शन पर गोरखधाम एक्सप्रेस से पहले क्लोन एक्सप्रेस चलेगी। यात्रियों की भीड़ को सहेजने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे का लखनऊ मंडल प्रशासन स्थायी समाधान ढूंढ रहा है। इसके लिए गोरखधाम के समानांतर नियमित अनारक्षित क्लोन एक्सप्रेस चलाने की तैयारी तेज कर दी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
संबंधित अधिकारी प्रस्ताव तैयार करने में जुट गए हैं। क्लोन एक्सप्रेस ट्रेन के चलने से दिल्ली व बठिंडा तक जाने वाले पूर्वांचल, बिहार व नेपाल के लोगों की भीड़ छंट जाएगी। यात्रियों को गोरखधाम में भी आसानी से सीट मिल जाएगी। प्लेटफार्म नंबर नौ पर लगने वाली लंबी लाइन व धक्कामुक्की समाप्त हो जाएगी।
रेलवे प्रशासन ने वैशाली और बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के क्लोन की तर्ज पर गोरखधाम एक्सप्रेस का भी क्लोन चलाने का निर्णय लिया है। गोरखधाम में भीड़ बढ़ने पर लखनऊ मंडल ने दो और तीन नवंबर को क्लोन एक्सप्रेस का संचालन भी किया था, लेकिन गोरखधाम के छूटने के बाद क्लोन एक्सप्रेस के चलने से न रेलवे को फायदा हुआ और न ही यात्रियों को।
ट्रेन लगभग खाली ही रवाना हुई। अब रेलवे प्रशासन क्लोन एक्सप्रेस को शाम 04:20 बजे छूटने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस के एक से डेढ़ घंटे पहले नियमित चलाने की योजना बना रहा है, ताकि क्लोन एक्सप्रेस से गोरखधाम ही नहीं वैशाली और बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के यात्री भी यात्रा पूरी कर लें। गोरखधाम में सीट के लिए यात्रियों को धक्कामुक्की न करनी पड़े। इसके लिए क्लोन में सिर्फ जनरल कोच ही लगाए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर स्लीपर बोगियां भी लगाई जा सकेंगी।
दीपावली, छठ, होली और गर्मी की छुट्टी ही नहीं अब वर्ष पर्यंत गोरखधाम से यात्रा करने वाले लोगों की लाइन लगने लगी है। छठ पर्व बाद तो गोरखधाम पकड़ने के लिए सुबह से ही प्लेटफार्म नंबर नौ पर लाइन लग जा रही। इसके बाद भी अधिकतर यात्री बोगियों में नहीं चढ़ पा रहे। प्लेटफार्म पर छूट जा रहे हैं।
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लोग जनरल बोगियों में टायलेट के सामने खड़े होकर यात्रा करने को मजबूर हैं। जनरल की पांच बोगियों में रोजाना लगभग तीन हजार लोग यात्रा करने को विवश है। दरअसल, गोरखपुर से दिल्ली के लिए रोजाना सिर्फ एक ट्रेन गोरखधाम ही है, वह भी अब बठिंडा तक जाने लगी है।
एसएलआर को लेकर ट्रेन में जनरल के पांच बोगी ही लगते हैं। रात को हमसफर चलती है, लेकिन वह पूरी तरह वातानुकूलित है। बिहार से कहने के लिए करीब दर्जन भर ट्रेनें दिल्ली रूट पर चलती हैं, लेकिन उनकी जनरल बोगियों में पैर रखने की जगह नहीं बचती।
ऐसे में जनरल टिकट पर दिल्ली जाने वाले पूर्वांचल और नेपाल के लाखों लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्टेशन से लगायत ट्रेन में भी धक्कामुक्की करनी पड़ रही है। |