प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। एक ही छात्रा की प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल में अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज करने के मामले में बीएसए ने दोनों स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को निलंबित कर दिया है। प्रारंभिक जांच में उनकी बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने भी कड़ी नाराजगी जताई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बिना किसी साक्ष्य के जन्मतिथि दर्ज करने पर हाईकोर्ट ने जताई थी नाराजगी
मामला सिरसागंज में सिरसा खास के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय का है। एक छात्रा की आयु निर्धारण को लेकर हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। कोर्ट ने उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का रिकार्ड लेकर इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को तलब किया था। वहां आयु को लेकर किसी प्रकार के साक्ष्य न मिलने पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए प्रधानाध्यापकों की कार्यशैली पर नाराजगी व्यक्त की।
सिरसा खास के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल में सामने आई लापरवाही
इसके बाद बीएसए आशीष कुमार पांडेय ने जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बनाई। इसमें एबीएसए मदनपुर हेतराम और एबीएसए एका श्रीकांत पटेल को शामिल किया। इनकी जांच में पता चला कि प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश के समय छात्रा की आयु 2008 दर्ज की गई, लेकिन इसके लिए अभिभावकों से कोई साक्ष्य नहीं लिया गया। केवल उनके कहने से ही जन्मतिथि दर्ज कर ली गई।
इसके बाद छात्रा उच्च प्राथमिक विद्यालय में पहुंची तो उसकी जन्मतिथि 2009 दर्ज की गई, जबकि प्राथमिक विद्यालय से जारी टीसी पर 2008 ही अंकित थी। बीएसए ने बताया कि प्रारंभिक जांच में छात्रा की जन्मतिथि से छेड़छाड़ की बात सामने आई है। इसलिए दोनों को निलंबित कर दिया गया है।
ये पकड़ी गई लापरवाही
विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रवेश के समय स्कूलों में अभिभावकों से बच्चे के जन्म से संबंधित साक्ष्य लिए जाने चाहिए। इनमें आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं। 2008 में आधार कार्ड का अधिक चलन नहीं था। ऐसे में प्रधानाध्यापक को अभिभावकों से जन्म के संबंध में शपथ पत्र लेना चाहिए था, जो नहीं लिया गया। केवल कहने मात्र से ही जन्मतिथि दर्ज कर ली गई। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय में टीसी में दर्शाई गई जन्मतिथि से अलग वर्ष अंकित किया गया। |