पर्यावरण थिंक टैंक आईफ़ॉरेस्ट ने राज्य सरकारों की जलवायु कार्य योजनाओं को बेहतर बनाने के लिए छह-सूत्रीय सुधार एजेंडा पेश किया है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। पर्यावरण थिंक टैंक आईफ़ॉरेस्ट (पर्यावरण, स्थिरता और प्रौद्योगिकी के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच) ने राज्य सरकारों की जलवायु कार्य योजनाओं को कार्य-उन्मुख और परिणाम-आधारित ढाँचों में बदलने के लिए एक छह-सूत्रीय सुधार एजेंडा प्रस्तुत किया है।
यह एजेंडा “जलवायु कार्य ढाँचों को मज़बूत करना: महत्वाकांक्षा को कार्य में बदलना“ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया है, जो “COP30 प्रस्तावना: राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उप-राष्ट्रीय जलवायु शासन को मज़बूत करना“ शीर्षक वाले एक वेबिनार के दौरान जारी की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आईफ़ॉरेस्ट के सीईओ डॉ. चंद्र भूषण के अनुसार, राज्य सरकारों की जलवायु कार्य योजनाओं ने जागरूकता बढ़ाने में मदद की है, लेकिन वित्तपोषण और संस्थागत ढाँचों में कमियाँ कार्यान्वयन में बाधा बन रही हैं। इस एजेंडा का उद्देश्य इन योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई में बदलना है।
आईफ़ॉरेस्ट द्वारा प्रस्तावित छह-सूत्री सुधार एजेंडे के मुख्य बिंदु
- दीर्घकालिक रोडमैप: भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी), सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और आईपीसीसी के अनुरूप विज्ञान-आधारित लक्ष्यों के साथ एक दीर्घकालिक जलवायु रोडमैप विकसित करना।
- कार्यान्वयन योग्य योजनाएं: इन्हें विशिष्ट, मापनीय, प्राप्त करने योग्य, प्रासंगिक और समयबद्ध कार्यों, बजट लिंकेज और उप-ज़िला-स्तरीय आकलन के साथ कार्यान्वयन योग्य योजनाओं में परिवर्तित करना।
- विभागीय एकीकरण: विभागीय कार्यक्रमों में अंतर्निहित समयबद्ध, क्षेत्र-विशिष्ट कार्य योजनाओं के माध्यम से जलवायु कार्य योजना को क्रियान्वित करना।
- शासन में मुख्यधारा में लाना: जलवायु कार्य योजनाओं को राज्य शासन में एकीकृत करना, उन्हें विज़न दस्तावेज़ों, पंचवर्षीय योजनाओं और क्षेत्रीय रणनीतियों के साथ संरेखित करना।
- संस्थागत क्षमता: राज्य, ज़िला और शहर स्तर पर जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए संस्थागत क्षमता और मानव संसाधनों को मज़बूत करना।
- वित्तपोषण और निगरानी: जलवायु वित्तपोषण के लिए मज़बूत तंत्र स्थापित करें और प्रभावी निगरानी और रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें।
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