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असम में बहुविवाह पर रोक, मंत्रिमंडल ने विधेयक को दी मंजूरी; सजा का है प्रावधान

Chikheang 2025-11-10 06:36:37 views 815

  

असम में बहुविवाह पर रोक (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत दोषियों को सात साल तक की कठोर सजा का प्रविधान है। यानी यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक महिला से शादी करता है तो उसे कैद भुगतने के साथ-साथ जुर्माना भी देना पड़ सकता है, चाहे उसकी धार्मिक पहचान भले ही कुछ भी हो। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सरकार का इस विधेयक को लाने का उद्देश्य महिलाओं की गरिमा की रक्षा करना और लैंगिक न्याय सुनिश्चित करना है। हालांकि, छठी अनुसूची में शामिल आदिवासी क्षेत्रों को इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सरमा ने कहा कि सरकार बहुविवाह की पीडि़त महिलाओं को मुआवजा देने के लिए एक नया कोष भी बनाएगी ताकि उन्हें अपने आगे के जीवन में कठिनाई का सामना न करना पड़े।

सरमा ने कहा कि इस विधेयक का नाम \“असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025\“ होगा और इसे शीतकालीन सत्र के पहले दिन 25 नवंबर को विधानसभा में पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी आरोपित को बहुविवाह का दोषी ठहराया जाता है तो उसे सात साल तक की कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है। यह गैर जमानती अपराध होगा।

सरकार पीडि़त महिलाओं को आवश्यक वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी। बता दें कि यदि यह विधानसभा से पारित हो जाता है तो असम उत्तराखंड के बाद बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले कुछ राज्यों में शुमार हो जाएगा। उधर, महिला संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।
विस चुनाव से पहले फरवरी में असम के मूल निवासियों को मिलेंगे हथियारों के लाइसेंस

मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि राज्य सरकार संवेदनशील और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले असम मूल के लोगों को फरवरी 2026 में हथियारों के लाइसेंस का पहला बैच जारी करेगी। यह निर्णय इस लिहाज से भी अहम है कि इसके तुरंत बाद विधानसभा चुनाव भी होना है।

सरमा ने कहा कि अधिकारियों को राज्य के नागरिकों से काफी आवेदन प्राप्त हुए हैं और वर्तमान में उनकी जांच की जा रही है। सरमा ने साथ ही कहा कि सरकार हथियारों के लाइसेंस बड़े सोच-समझकर चयनित लोगों को देगी। सभी लोगों को हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

पीड़ित को कानूनी सहायता देना केवल परोपकार नहीं, बल्कि हमारा नैतिक दायित्व- CJI गवई
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