प्रतापगढ़ में नशा तस्कर के घर से करोड़ों का माल बरामद होने से यहां के लोग हतप्रभ हैं।
जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़। गंगा की गोद में बसा मानिकपुर आस्था का नगर है। कार्तिक मेला यहां कह पहचान है। इसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। सनातन की ज्योति को प्रखर करते हैं। उसी मानिकपुर के माथे पर कुख्यात मादक पदार्थ तस्कर राजेश मिश्रा की करतूतों ने कलंक लगा दिया। पैसे की भूख में उसके पिता, वह और फिर उसके बच्चों ने इस काले धंधे को विरासत की तरह संभाला। दूर तक फैलाया। युवाओं समेत लोगों को नशे की लत लगाकर करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। अब उस पर कानून का चाबुक चल गया है। नशीले पदार्थों की कमाई से बनी इमारत की हर ईंट कुर्क होने लगी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मानिकपुर के मुंदीपुर को किया बदनाम
मुंदीपुर को पहले कोई नहीं जानता था। उसकी कोई खासियत भी नहीं थी, लेकिन जब से राजेश ने उसे बदनाम किया है, हर कोई उसकी बात व आलोचना कर रहा है। पुलिस को उसके घर पर मिली करोड़ों की नकदी व भारी मात्रा में मादक पदार्थ यह बताता है कि कितने बड़े पैमाने पर नशे का यह जाल फैल चुका था। सरगना की पत्नी ने भी उसका पूरा साथ दिया। बच्चों को भी उसी में लगा दिया। रुपये के पहाड़ खड़े होने लगे।
खास-खास
- जब पुलिस का शिकंजा कसा तो रुपये बैंक में रखना बंद किया
- जिले में पहली बार बरामद रुपये गिनने में मशीन का इस्तेमाल
- पूरी रात वीडियो कैमरे की निगरानी में चली नोटों की गिनती
- इसके पहले फर्जी दस्तावेजों से कराई गई थी राजेश की जमानत
- सवा तीन करोड़ की बरामदगी से तस्कर गिरोह की टूट रही कमर
- जिले में थाना स्तर की अब तक की सबसे बड़ी तस्कर रोधी छापेमारी
- एडीजी डा. संजीव गुप्ता व आइजी अजय मिश्र कर रहे थे मानीटरिंग
कई जनपदों में नशे का फैलाया जाल
इस परिवार ने पहले मानिकपुर व आसपास नशे का चस्का लगाया। कम पैसे में गांजा-स्मैक बेचे और जब धंधा चल निकला तो पंख लग गए। जिले की सीमा टूट गई। प्रयागराज, रायबरेली, जौनपुर, उन्नाव, अमेठी, कौशांबी समेत कई जिले में इनके कारिंदे जाल फैलाकर कमाई करने लगे। पुलिस भी अचरज में है कि एक साधारण गांव के नशा तस्कर के घर इतनी नकदी कितने दिनों में आई, किस-किस जिले से कमाई गई। रकम गिनने में खाकी को पूरी रात जगना पड़ा।
ऐसे खुला पूरा मामला
पुलिस ने इन दिनों पेशेवर व फर्जी जमानतदारों के सत्यापन का अभियान चला रखा है। इसी सिलसिले में जब मंदीपुर में राजेश मिश्रा के पड़ाेसी राजेंद्र कुमार ने अपने अभिलेखों को गलत ढंग से तस्कर की जमानत में इस्तेमाल किए जाने की शिकायत की तो पुलिस सतर्क हो गई। इसकी जांच करने गई पुलिस को गुडवर्क हाथ लग गया।
नया-पुराना घर इंटरकनेक्ट
ड्रग माफिया ने अपने घर की मजबूत किलेबंदी की है। उसका एक घर पुराना है। फिर उसने काली कमाई से दूसरा बनवाया। दोनों को अंदर से गलियारे के जरिये जोड़ दिया, ताकि सब खेल अंदर चलता रहे। हर जगह सीसीटीवी लगे हैं, ताकि बाहर कोई आए तो पता चल सके। अपना आदमी हो तो गेट खुलता था, नहीं तो बंद। पुलिस के आने पर तस्कर की पत्नी व बेटी ही निकलकर बताती थी कि वह कहीं गए हैं, हमें नहीं पता।
टीम को 25 हजार रुपये पुरस्कार
एएसपी पश्चिमी बृजनंदन राय, सीओ कुंडा अमर नाथ गु्प्ता की देखरेख में लंबी टीम ने कार्रवाई की। इसमें प्रभारी निरीक्षक मानिकपुर नरेंद्र सिंह, उपनिरीक्षक उमेश प्रताप सिंह, अमरनाथ सिंह, संजय कुमार, अचिन्त्य शुक्ल, संतोष यादव, देवीदीन बुंदेला व सिपाहियों का योगदान रहा। टीम को एसपी ने 25 हजार का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की।
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