Puri Jagannath Temple: जगन्नाथ पुरी धाम की रसोई।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर केवल एक तीर्थस्थल नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति, भक्ति और कई अनसुलझे रहस्यों का अद्भुत संगम है। इन्हीं रहस्यों में से एक है मंदिर (Puri Jagannath Temple) का विशाल और चमत्कारी रसोई घर, जिसे विश्व की सबसे बड़ी मंदिर रसोई माना जाता है। करीब 44,000 वर्ग फुट में फैली यह रसोई सिर्फ भोजन पकाने का स्थान नहीं, बल्कि यहां साक्षात मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जहां हर दिन लाखों भक्तों के लिए महाप्रसाद तैयार किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भक्तों की संख्या प्रतिदिन कम या ज्यादा होने पर भी, महाप्रसाद न तो कभी कम पड़ता है और न ही कभी बचता है।
महाप्रसाद के रहस्य
बर्तनों का उल्टा क्रम
यहां प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के सात बर्तनों को एक के ऊपर एक, लकड़ी की आग पर रखकर पकाया जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस ढेर में सबसे ऊपर रखा हुआ बर्तन सबसे पहले पक जाता है, और उसके बाद क्रम से नीचे के बर्तन पकते हैं। इसे साक्षात भगवान का चमत्कार माना जाता है।
मां लक्ष्मी का आशीर्वाद
ऐसी मान्यता है कि महाप्रसाद पर मां लक्ष्मी और देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर प्रसाद बनाने वाले रसोईयों के मन में जरा भी अहंकार आ जाए या प्रसाद की शुद्धता में कोई कमी होती है, तो किसी न किसी कारण से मिट्टी के बर्तन टूट जाते हैं, जिससे पता चलता है कि भोजन को सिर्फ भक्ति और समर्पण के भाव से ही पकाया जाना चाहिए।
कभी कम न पड़ने का चमत्कार
यहां रोजाना करीब 56 भोग तैयार किए जाते हैं। मंदिर प्रशासन कोई माप-तौल नहीं करता, फिर भी भक्तों की संख्या चाहे 20 हजार हो या 2 लाख, महाप्रसाद सभी को मिलता है और एक दाना भी व्यर्थ नहीं जाता। भक्तों का अटूट विश्वास है कि भगवान जगन्नाथ की इच्छा से ही उतना प्रसाद तैयार होता है, जितने भक्तों को भोजन ग्रहण करना होता है। इस रसोई में तैयार होने वाला प्रसाद, जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद महाप्रसाद कहा जाता है, भक्तों के लिए केवल भोजन नहीं, बल्कि “अन्न ब्रह्म“ का रूप है, जो जाति, वर्ग और धन से परे है।
यह भी पढ़ें- Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी पर की गई ये गलतियां दे सकती है दुर्भाग्य को न्योता, जानें नियम
यह भी पढ़ें- Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, संतान का भविष्य होगा उज्ज्वल
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है। |