खाद की कालाबाजारी रोकने को सरकार सख्त, नेपाल से सटे जिलों में की जा रही विशेष निगरानी

cy520520 2025-11-8 20:07:24 views 1186
  



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। रबी सीजन में कुछ जिलों में खाद की बढ़ती खपत ने सरकार को सतर्क कर दिया है। पर्याप्त उपलब्धता के दावों के बीच भी जिलों में समितियों के बाहर लग रही लंबी कतारें लग रही हैं। खरीफ सीजन में भी कई जिलों में अनियमित बिक्री के कारण इस तरह की स्थिति बनी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वहीं झांसी और ललितपुर में एक अप्रैल से अब तक की गई खाद की बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि सामने आई है। जिसके बाद कृषि विभाग ने दोनों जिलों की जांच के लिए तीन-तीन सदस्यीय दो टीमों का गठन किया है।

कालाबाजारी और तस्करी रोकने के लिए नेपाल के सीमावर्ती जिलों में भी खाद के वितरण की निगरानी को विशेष टीमें लगाई गई हैं। अधिकारियों से ऐसे अधिक खाद बेचने वाले विक्रेताओं व समितियों और अधिक खाद लेने वाले किसानों की जानकारी मांगी गई है।

पिछले दिनों खरीफ सीजन में प्रदेश भर से खाद के संकट के मामले सामने आए थे। किसानों के विरोध-प्रदर्शन सहित विवाद आदि घटनाएं हुई थीं। अब रबी सीजन की शुरुआत में भी कई जिलों से खाद की कमी की शिकायतें आ रही है।

जबकि विभाग के आंकड़ों के अनुसार सात नवंबर तक 38.15 लाख मीट्रिक टन खाद आ चुकी है। इसमें 13.15 लाख टन का वितरण किया गया, जिसके बाद 25 लाख टन उर्वरक उपलब्ध है। ऐसे में कालाबाजारी की आशंका जताई जा रही है। खरीफ सीजन में भी कई जिलों में गड़बड़ी पकड़ी गई थी।

ऐसे में पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज में विशेष निगरानी के लिए अधिकारियों की टीम लगाई गई। जिलों के स्थानीय अधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

वहीं विभाग ऐसे जिलों की भी सूची तैयार करा रहा है, जहां पूर्व के मुकाबले खाद की खपत में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। हाल ही में झांसी और ललितपुर से ऐसी रिपोर्ट आई है। इन जिलों में कई किसानों को अप्रैल से अब तक एक-एक टन से अधिक खाद वितरित की गई है।

जिसके बाद कृषि निदेशक डा. पंकज त्रिपाठी ने झांसी की जांच के लिए संयुक्त कृषि निदेशक याेगेश कुमार सिंह, उप कृषि निदेशक आशीष कुमार सिंह व ब्रजेश सिंह की टीम और ललितपुर की जांच के लिए अपर कृषि निदेशक चावल ब्रजेश चंद्र, संयुक्त कृषि निदेशक अनिल यादव व उप कृषि निदेशक धर्मेंद्र यादव की टीम गठित की है। यह टीमें संबंधित किसानों से संपर्क कर उनके पास उपलब्ध भूमि, उगाई गई फसल और उर्वरक की आवश्यकता के कारणों की जानकारी लेेंगी। विक्रेताओं के अभिलेखों की जांच करेंगीं।
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