खोखली हो रही है दिल्ली में अंग्रेजों के जमाने की ये ऐतिहासिक इमारत, खतरे में हैं 92 वर्ष पुराने इतिहास का भविष्य

deltin33 2025-11-7 03:07:04 views 738
  



नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दिल्ली के दिल कनाॅट प्लेस (सीपी) में घूमने के दौरान वास्तुकार राबर्ट टोर रसेल की बसाई ऐतिहासिक और संरक्षित इमारतों की सफेदी की चमक चकित करती है। ब्रिटिशकालीन यह बसावट भव्यता और शानदार खूबसूरती के चलते विश्व प्रसिद्ध है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लेकिन 92 वर्ष पुरानी इन इमारतों का भविष्य अब खतरे में आ रहा है। कारण उन पर हजारों की संख्या में वर्षों से उगे वे पेड़ हैं, जो इमारतों में चौड़ी दरारें लाने के साथ छतों को टपकने वाला बना रही हैं। एक बारगी उन्हें देखकर शानदार हरियाली के अभिनव प्रयोग जैसा आभास होता है, पर ये कनाट प्लेस की इमारतों को धीरे-धीरे कई वर्षों में खोखला करते जा रही है।

वैसे, जी-20 की शीर्ष बैठक की तैयारियों में शहर के विभिन्न स्थानों को खूबसूरत बनाने के क्रम में वर्ष 2022 में वर्षों से कनाॅट प्लेस की इमारतों में जड़े जमाए इन पेड़ों को हटाने के लिए नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने विशेष \“पीपल मिशन\“ भी चलाया था, जिसमें बड़े स्तर पर उन्हें हटाने का दावा किया गया था, लेकिन स्थानीय दुकानदार कहते हैं कि वह आंखों की सफाई जैसा कृत्य था, केवल पेड़ों को छांटा गया, जिससे और बड़े रूप में वह सामने आ गए हैं।

स्थिति यह कि कनाट प्लेस का कोई ब्लाॅक नहीं बचा है, जिसकी इमारतों की दीवारों, छज्जे और छतों पर तीन-चार फीट या 10 फीट तक के ये पेड़ न दिखाई देते हो। सी, एफ, एन व डी के साथ ही सभी ब्लाॅकों की कमोबेश एक सी स्थिति है।

नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन (एनडीटीए) के पदाधिकारियों के अनुसार, इमारतों के सामने कीस स्थिति फिर भी उतनी खराब नहीं लगती, जितनी की छतों पर, क्योंकि कई इमारतों की छतों पर ये पूरी तरह से फैल चुके हैं।

जानकार बताते हैं कि सीपी की इमारतों पर ये पेड़ चिड़ियों के बीट करने के कारण फैले हैं, जिसमें पीपल मुख्य है और यह समस्या कई दशक से है। एनडीटीए के महासचिव विक्रम बधवार कहते हैं कि ऐसी पेड़ों की संख्या 2,000 से अधिक होगी, जिनकी जड़े इमारतों को खोखला करते हुए काफी अंदर तक पहुंच चुकी है। छतें टपकती है।  

उन्हें हटाने के प्रयासों के सवाल पर वह आरोप लगाते हैं कि दुकानदार उन्हें हटाना चाहते हैं, लेकिन एनडीएमसी रोड़ा बन रही है। अगर ऐसा कोई काम होता तो उसके कर्मी रोकने आ जाते हैं।

मसलन, एक दिन पहले ही एक दुकानदार को इसलिए नोटिस थमा दिया गया कि वह अपने दुकान की सीसीटीवी ठीक करा रहा था। जबकि, वे लोग नियमित रूप से पत्र लिख रहे हैं, लेकिन अब उसका जवाब भी नहीं आता है।

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यह समस्या विकराल है, कोई एक-दो वर्ष की नहीं, बल्कि कई दशक से है, जो इमारतों को कमजोर कर रही है। लेकिन आज तक नहीं पता कि इसे हटाने का काम एनडीएमसी के किस विभाग के अंतर्गत है।


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विक्रम बधवार, महासचिव, एनडीटीए


पूर्व में भी हमने कनाॅट प्लेस में विशेष अभियान के माध्यम से साफ-सफाई कराई थी। दीवारों से अनुपयोगी पौधों व घास को हटाया था। आगे फिर से एक विस्तृत कार्य योजना बनाकर अभियान चलाएंगे। हम लगातार स्थितियों को सुधारने के प्रयास में लगे हैं।


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-कुलजीत चहल, उपाध्यक्ष, एनडीएमसी
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