प्रतीकात्मक तस्वीर।
नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। बैंगलोर को बेंगलुरु, बंबई को मुंबई तथा मद्रास को उसका पुराना वैभव चेन्नई मिल गया, लेकिन दिल्ली को ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम अब तक नहीं मिला। वैसे, नाम बदलने की मांग कई मंचों से उठी, लेकिन उस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हुआ। अब विहिप इस मांग को परिणति तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। उसकी तरफ से इसके लिए जन अभियान शुरू करने की तैयारी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
15 नवंबर से जमीन पर शुरू होगा अभियान
संगठन के अनुसार, इस मांग के तब पूरी होने की उम्मीद अधिक है जब यह आवाज दिल्ली के हर काेने व वर्ग से आए। इसके लिए 15 नवंबर से वह जमीनी प्रयास शुरू करने जा रही है। जिसके तहत पहले चरण में दिल्ली के सभी सांसदों, मंत्रियों तथा विधायकों से संपर्क कर उनसे इसपर समर्थन मांगा जाएगा।
इसी तरह सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक व शैक्षणिक जैसे संगठनों को भी जोड़ा जाएगा। हाल ही में एक नवंबर को दिल्ली सरकार ने दिल्ली का स्थापना दिवस मनाया। जिस मौके पर चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर देश की राजधानी को उसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत स्वरूप से जोड़ते हुए “इंद्रप्रस्थ” नाम देने की मांग को आगे बढ़ाया।
विहिप का प्रतिनिधिमंडल आग्रह करेगा
विहिप, इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) प्रांत के महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता के अनुसार, अभियान के तहत सभी 70 विधायकों तथा सातों सांसदों से मिला जाएगा। राज्यसभा सांसद से भी विहिप का प्रतिनिधिमंडल मिलेगा तथा मांगों संबंधित पत्रक सौंपकर उनसे उनका समर्थन मांगेगा। जनप्रतिधियों से मुलाकात के दौरान विहिप का प्रतिनिधिमंडल आग्रह करेगा कि इससे संबंधित पत्र वह दिल्ली सरकार को लिखे तथा यह मामला विधानसभा में उठाएं।
सुरेंद्र गुप्ता कहते हैं कि बाकि, देश के प्रमुख चार प्रमुख महानगरों में से तीन ने औपनिवेशिक नामों से मुक्ति पाकर अपने पुराने वैभव को पा लिया, लेकिन दिल्ली की सरकारों में यह इच्छाशक्ति नहीं रही। उम्मीद है कि रेखा गुप्ता सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार करेगी।
5,000 वर्ष का गौरवशाली इतिहास
विहिप प्रांत महामंत्री कहते हैं कि दिल्ली जब नाम लेते हैं तो महज 2,000 वर्ष के अतीत तक पहुंच पाते हैं, जो केवल संघर्षों का इतिहास रहा है। जबकि, इंद्रप्रस्थ का जिक्र आते ही 5,000 वर्ष का पांडवकालीन गौरवशाली भव्य इतिहास सामने आता है।
दिल्ली के इतिहासकार व लेखक विवेक शुक्ला के अनुसार, दिल्ली का सीधे जुड़ाव हस्तिनापुर से था, जो मेरठ में स्थित है, आजादी के पहले 1914 तक तब यमुना पार उसका हिस्सा हुआ करता था, जबकि, दक्षिणी दिल्ली का हिस्सा पंजाब प्रांत से। इसी तरह, इंद्रप्रस्थ नाम से जुड़ाव दिल्ली के कई स्थानों व संस्थानों के मिल जाते हैं। पुराना किला में इसके तमाम अवशेष है, जो इस मांग को अधिकार देते हैं।
विहिप के पत्रक में होगी ये प्रमुख मांगें
- दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ हो।
- रेलवे स्टेशन तथा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम भी इंद्रप्रस्थ पर हो।
- मुगल सल्तनत की अस्थिया जहां दबाई गई है, जो स्मारक घोषित हैं, वहां हिंदू राजाओं-हेमचंद विक्रमादित्य, अनंगपाल तोमर, महाराणा प्रताप व पृथ्वी राज चौहान जैसे हिंदू राजाओं के स्मारक बने।
- इंद्रप्रस्थ पार्क व संग्रहालय बने जहां, इंद्रप्रस्थ के 5000 वर्षों का इतिहास दर्शाया गया हो।
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