कहलगांव में दिलचस्प हुआ चुनाव, राजद और कांग्रेस में फ्रेंडली फाइट; कौन मारेगा बाजी?
कुमार आशुतोष, कहलगांव। कहलगांव विधानसभा का चुनाव मकड़जाल में उलझ गया है। लंबे समय से यहां सीधा मुकाबला होता था। वर्ष 2020 में कांग्रेस उम्मीदवार शुभानंद मुकेश एवं भाजपा उम्मीदवार पवन कुमार यादव के बीच सीधा मुकाबला हुआ था। जिसमें पवन यादव ने शुभानंद मुकेश को करीब 45 हजार मतों से हराया था। पहली बार कहलगांव विधानसभा में कमल खिला था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुभानंद मुकेश ने कांग्रेस छोड़ जदयू का दामन थाम लिया। सीट बंटवारे में कहलगांव विधानसभा क्षेत्र जदयू के कोटे में आई और शुभानंद मुकेश को जदयू उम्मीदवार बनाया गया। कार्यकर्ताओं के दबाव में पवन कुमार यादव निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े। कहलगांव कांग्रेस की परम्परागत सीट रही है।
यहां से राजद ने झारखंड के मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश भारती को तो कांग्रेस ने प्रवीण सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। यहां एनडीए एवं महागठबंधन के वोटों का बिखराव हो रहा है। मुख्यमंत्री के लवकुश समीकरण में भी बिखराव की स्थिति है।
मुस्लिम वोटों पर राजद, कांग्रेस, जदयू एवं जन सुराज उम्मीदवार मंजर आलम दावेदारी कर रहे हैं। मुस्लिम वोटों में बिखराव तय माना जा रहा है। यादव वोटों में राजद एवं निर्दलीय उम्मीदवार पवन कुमार यादव के बीच बंट रहा है। भाजपा का एक बड़ा तबका सीट बदले जाने से नाराज है। हालांकि, पुराने भाजपा के कुछ नेता गठबंधन धर्म निभा रहे हैं।
घोघा गोल सड़क स्थित दुर्गा मंदिर के बरामदे पर बैठे अठगांवा निवासी प्रमोद मंडल, योगेंद्र मंडल, विजय मंडल, मनकू पाठक इत्यादि कहते हैं कि हमलोगों कि स्थिति ये कि हाट करने कहलगांव विधानसभा जाते हैं, घर आकर सोते हैं पीरपैंती विधानसभा में और खेती किसानी नाथनगर विधानसभा में करते हैं। किस विधानसभा की चर्चा करें। कहलगांव के बाबत पूछे जाने पर सभी लोग कहते हैं कि इस बार मामला उलझ गया है। रोज समीकरण बदल रहा है। देखिये क्या होता है। |