दिशा की बैठक में दोनों पक्ष में होती बहस। वीडियो ग्रैब
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। दिशा की बैठक में सांसद देवेंद्र सिंह भोले व पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी के बीच तीखी बहस हो गई। फैक्ट्रियों की जांच, खनन, दिशा के सदस्य समेत कई मुद्दों पर बहस के बाद मामला अचानक से उग्र हो गया। पूर्व सांसद भड़क उठे तो सांसद समर्थक भी मैदान में आ गए, दोनों तरफ से अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हाथापाई का माहौल बन गया तो डीएम, एसपी, एएसपी व अन्य अधिकारियों ने बीचबचाव कराया। इसके बाद बैठक निरस्त हो गई और दोनों पक्ष वहां से चले गए। पूर्व में भी एक दूसरे पर निशाना दोनों पक्ष साधते रहे हैं और एक बार फिर से मामला गर्मा गया है।
इस तरह गरमाया मामला
दिशा की बैठक कलेक्ट्रेट में चल रही थी। पूर्व सांसद वारसी ने कहा कि दिशा के कई सदस्य गलत तरीके से चयनित हैं, हर बैठक में बदलकर सदस्य बैठते हैं जबकि ऐसा नहीं हो रहा, एक दलित, महिला व अन्य आरक्षण के हिसाब से सदस्य होना चाहिए, सभी सांसद के ही समर्थक हैं, इसकी नियमावली दिखाई जाए। इस पर सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कहा कि सभी भारत सरकार से मनोनीत हैं और सब सही तरीके से चयन हुआ है। इसके बाद पूर्व सांसद ने मिर्जा तालाब अकबरपुर में खनन की जांच का मुद्दा उठाया तो उसमें जांच कमेटी के जांच की बात कही गई, इस पर पूर्व सांसद ने लीपापोती का आरोप लगाया तो सदस्य गुडडन सिंह ने कहा पूर्व में कागजात प्रसारित किए गए आखिर जांच पूरी हुए बिना यह गलत कैसे किया गया।
फिर लगा ये आरोप
इस पर दोनों तरफ से बहस हुई तो किसी तरह से मामला शांत कराया गया। इसके बाद जिले में रहे कुछ पूर्व अधिकारियों का नाम लेकर पूर्व सांसद ने उनको जानबूझकर परेशान करने व जांच का आरोप लगाया। इसके बाद दो फैक्ट्रियों में प्रदूषण व अन्य जांच का मुद्दा उठा तो पूर्व सांसद वारसी ने दिशा के सदस्य के गलत तरीके से वहां जाने वसूली का आरोप लगाया।इस पर दोनों तरफ से बहस होने लगी तो मामला किसी तरह से शांत हुआ। जल जीवन मिशन के काम को लेकर सवाल उठा व क्रोमियम की बात उठी तो पूर्व सांसद वारसी नाराज हो गए और बैठक में एजेंडा से अलग मामला उठाने का आरोप लगा दिया, इस पर सदस्य राजेश तिवारी ने विरोध किया तो पूर्व सांसद ने उनके बेटे की हत्या को लेकर बात कह टिप्पणी कर दी तो मामला और उग्र हो गया, इस पर राजेश तिवारी आक्रोशित हो गए।
यहां से और ज्यादा बिगड़ा माहौल
इसके बाद क्रोमियम को लेकर पूर्व सांसद की फैक्ट्री के प्रदूषण फैलाने व जुर्माना को लेकर बात रख दी। इसके बाद माहौल बिगड़ गया और दोनों तरफ से अभद्र भाषा का प्रयोग होने लगा, पूर्व सांसद बोलने लगे कि मुझे मारना चाहते हो तो मार डालो, यहां गुंडे बैठाते हो। इस पर सांसद भोले भी खड़े हो गए और गलत बात यहां नहीं चलेगी बोला। जमकर बहस व अभद्र भाषा बोली जाने लगी, दोनों पक्ष के समर्थक उठकर एक दूसरे की तरफ आ गए और माहौल हाथपाई का होने वाला था। इस पर डीएम कपिल सिंह, एसपी श्रद्धा नरेंद्र पांडेय, एएसपी राजेश पांडेय व पुलिसकर्मियों ने बचाव किया।इसके बाद बैठक को निरस्त करना पड़ गया।
वारसी को उपचार की जरुरत, मुझसे बड़ा बदमाश कोई नहीं : भोले
मामले में सांसद देवेंद्र सिंह भोले का कहना है कि वारसी मेरे आदरणीय मित्र व भाई है। उनको उपचार की जरुरत है, मुझे वह गुंडा बोल रहे तो बता दूं कि कानपुर देहात में मुझसे बड़ा बदमाश व हिस्ट्रीशीटर कोई नहीं है, सपा सरकार में मैंने धरना दिया, जनता के मुददे रखे, पुलिस के पास कागज व कलम होती हैं, मेरे खिलाफ 10 से 15 मुकदमे लिखवा दिए गए। दिशा का मैं चेयरपर्सन हूं, सभी के सहयोग से आरक्षण के तरीके से पांच प्रधान व चार व सदस्य जो मेरी व डीएम की सहमति से भारत सरकार से नामित होकर आए, पूर्व सांसद कहते हैं हम इनको सदस्य नहीं मानते, देश व प्रदेश सरकार को नहीं मानते। करीब 50 साल की राजनीति में अधिकारियों व जनता के मुद्दे पर धरना प्रदर्शन किया पर किसी फैक्ट्री वाले के खिलाफ हमने कभी नहीं किया है। फैक्ट्री वाले नियम से काम करें, अगर नियम से नहीं करेंगे तो संबंधित अधिकारी को पत्र लिखकर कार्रवाई की जाएगी। पूर्व सांसद का कहना है कि मैं सांसद को नहीं मानता हूं, आप अकबरपुर की जनता का अपमान कर रहे, जांच कमेटी पक्षपात करती है यह उनका कहना है, मैं तो कमेटी नहीं बनाता अधिकारी बनाते हैं व साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई होती है इस पर भी उनको एतराज है। आरती डिस्टलरी का मामला आया है, उन्होंने पत्र भेजा कि कोई बोर्ड मैंबर न जाए, फिर से जांच हुई तो वही रिपोर्ट फिर आई। तीसरी बार मैंने व अन्य सांसद ने लोकसभा में ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री के समक्ष रखा कि क्या जांच के दौरान दिशा का सदस्य वहां जा सकता है, जवाब मिला कि अध्यक्ष व सदस्य जा सकते हैं। वारसी थाने में भी धरने पर बैठेंगे, गहोलिया कांड में भी बैठेंगे जब चुनाव आएगा तो परशुराम महासभा चलाएंगे, ब्राह्मण जाति का मामला उठाएंगे। मैं खुद उनसे बड़ा ब्राह्मण हूं, दलित हूं व क्षत्रिय हूं। इन्होंने गहोलिया कांड में माहौल खराब करने की कोशिश की और कहा कि ब्राह्मणों की हत्या हो रही, इसके बाद राजेश तिवारी, विद्यासागर त्रिपाठी समेत अन्य लोग गृह सचिव के पास गए थे मामला उठाया था। वारसी विकास दुबे के भाई का साथ रखते हैं जिसने संतोष शुक्ला की हत्या की। शासन के खिलाफ बोलते हों कि फाइल मेरे पास नहीं आती तो क्यों मंत्री बने बैठे हैं, वारसी भ्रष्ट अधिकारियों को बचाना चाहते हैं, व्यापारियों को बचाना चाहते हैं जो प्रदूषण फैलाते हैं, टैक्स चोरी करते हैं, किसानों को भी परेशान करते हैं, तहसीलदार को बचाएंगे जो गलत कर रहे। क्रोमियम का मामला दिशा के एजेंडे में था, इनकी फैक्ट्री पर 97 करोड़ का जुर्माना है,हाईकोर्ट ने कहा कि इसको सही से आकलन कीजिए क्योंकि मामला इससे ऊपर का है।हम तो विकास व जनता की बात रखते हैं तो इनको गलत लगता है।
फैक्ट्री वालों को बनाया जा रहा निशाना, पुलिस न होती तो हो जाता हमला : वारसी
अगर पुलिस वाले न होते तो मुझ पर हमला इनके समर्थकों ने कर दिया होता और कुछ भी गलत हो सकता था। दिशा की बैठक के लिए जो अनुमन्य मुददे हैं उनको न उठाकर निजी हित के मुददों को शामिल किया जाता है व लोगों को निशाना बनाया जाता है व उन पर मुकदमा कराने संग वसूली की जाती है। एचएएल एग्रो व आरती डिस्टलरी को निशाने पर लिया जाता है, उन पर दबाव डाला जा रहा और अपने गुर्गों को भी वहां भेजा जाता है जिससे वसूली हो। चार पांच गुंडों को बैठाकर दिशा की बैठक में लोगों को निशाने पर लिया जाता है बेइज्जत किया जाता है। जबरदस्ती मुकदमा लिखाया जाता है। फैक्ट्री वालों को निशाना बनाते हैं फिर इनके लोग वहां जाकर वसूली करते हैं। टोल से करोड़ों की वसूली इन्होंने की, जिसका मामला अंदरखाने दिल्ली तक उठा। दिशा के सदस्य जो बनाए हैं वह नियम विरूद्ध इन्होंने अपने ही आदमी बनाए हैं। विकास की बात न कर केवल व्यक्तिगत मुद्दे उठाया जा रहा, मुझे सांसद व समर्थकों ने गाली भी दी। मैं केवल जनता व विकास की ही बात करता हूं और उनके लिए ही अभी तक लड़ाई लड़ रहा हूं।
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