जनपद पौड़ी के अंतर्गत द्वारीखाल विकासखंड के ग्राम सैणा के आसपास युद्धाभ्यास का प्रशिक्षण लेते जवान।साभार : सेना
अनुज खंडेलवाल, जागरण
लैंसडौनः देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) दिवंगत जनरल बिपिन रावत के पैतृक गांव सैंणा में इन दिनों युद्धभूमि जैसा माहौल है।
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर (जीआरआरसी) के अग्निवीर गांव के आसपास पूरे दिन कांबिंग सहित युद्ध संबंधी अन्य प्रशिक्षण ले रहे हैं। अग्निवीरों के टेंट और चहलकदमी से रात में भी गांव गुलजार है।
यह पहला अवसर है, जब रेजिमेंट का कैंप इस गांव में लगा है। जनरल रावत के गांव की मिट्टी की महक अग्निवीरों को काबिल सैनिक बनने के लिए प्रेरित करने के साथ उनमें त्याग, समर्पण व जोश का संचार भी कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पौड़ी जनपद के द्वारीखाल प्रखंड में जीआरआरसी लैंसडौन से करीब 38 किमी दूर है सैंणा गांव। ग्रामसभा बिरमोली के अंतर्गत आने वाला यह गांव पलायन से निर्जन हो चुका है, लेकिन इन दिनों गांव में रौनक है।
जीआरआरसी के कमांडेंट ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी की पहल पर यहां अग्निवीरों का एडवांस कैंप लगाया गया है। इन दिनों गांव में 450 अग्निवीर युद्धाभ्यास में दिन-रात जुटे हैं।
अग्निवीरों के विश्राम के लिए गांव में टेंट स्थापित किए गए हैं, जहां खाना पकाने के साथ अन्य गतिविधियां भी संचालित हो रही हैं। कैंप में सैनिकों के लिए प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है। ग्राम प्रधान अनीता देवी ने कहा कि गढ़वाल राइफल्स की यह पहल स्वागत योग्य है।
सेना में शामिल होने के बाद अग्निवीरों को 26 सप्ताह का कठिन प्रशिक्षण लेना होता है। इस दौरान उन्हें युद्धाभ्यास सहित कई अन्य गतिविधियां सिखाई जाती हैं।
आबाद हुए बंजर खेत
अग्निवीरों का दल जब सैंणा पहुंचा, तब गांव में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई थीं। कच्चे मार्ग की स्थिति भी ठीक नहीं थी। जनरल रावत के पैतृक आवास के आसपास भी झाड़ियां उगी हुई थीं।
अग्निवीरों ने अभियान चलाकर झाड़ियां हटाईं और साफ-सफाई की। जनरल रावत के पैतृक गांव के निकट एक सेल्फी प्वाइंट भी है, जो बदहाल स्थिति में था। सेना ने इसे जीवंत बनाने के साथ ही यहां मौजूद मैदान को खेल योग्य बना दिया है।
जारी रहेगा युद्धाभ्यास का क्रम
कमांडेंट ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी ने बताया कि सैंणा में अग्निवीरों का एडवांस कैंप रेजिमेंट की ओर से जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि है। पहले बैच में यहां 450 अग्निवीर दो सप्ताह तक युद्ध कौशल के गुर सीख रहे हैं। इसके बाद 550 अग्निवीरों का दूसरा दल सैंणा गांव जाएगा।
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