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पहली बार हेमा मालिनी से मिलने पर बेहद घबराए हुए थे Shah rukh Khan, दिल आशना में किया था काम

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दिल आशना में शाह रुख खान (फोटो-प्राइम वीडियो)



जागरण न्यूज नेटवर्क। बालीवुड के बादशाह शाह रुख खान ने पर्दे पर अपना करियर टीवी पर आने वाले शो ‘फौजी’ से शुरू किया था। इसकी यादें Gen Z को नहीं होंगी। दूरदर्शन का वह सुनहरा दौर था। उस समय शाह रुख के चेहरे पर बाल अपना अधिकार बनाए रखते थे। इसके बावजूद वह बहुत आकर्षक लगते थे। युवा पीढ़ी उनके दमदार अभिनय को देखकर पसंद करने लगी थी। वर्ष 1992 में उनकी पहली फिल्म ‘दीवाना’ रिलीज हुई। तब के और अब के शाह रुख में बहुत अंतर है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ने जब फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा तो पहली फिल्म बनाई ‘दिल आशना है’। इस फिल्म के लिए उन्होंने शाह रुख को ही चुना। ‘फौजी’ से ही उन्होंने पहली बार शाह रुख को देखा और फिल्म में लेने की सोच ली था। इतने बरस बाद एक साधारण युवक से शाह रुख बनने के सफर पर हेमा मालिनी ने विनीत मिश्र से यादें साझा कीं -

प्रश्न - शाह रुख खान को अपनी पहली ही फिल्म में लेने का निर्णय किस तरह किया।
हेमाः छोटे पर्दे पर एक टीवी शो फौजी आ रहा था। इतने लोगों के बीच शाह रुख बड़ा आकर्षक और सुंदर लग रहा था। दिल आशना है..के लिए मुझे अच्छा हीरो चाहिए था। मैंने आमिर खान, अक्षय कुमार से भी बात की थी। लेकिन उनके पास समय नहीं था। फिर शाह रुख के बारे में पता किया तो उनके बारे में पूरी जानकारी हुई। बोलीं, तब काम तो दे दिया लेकिन पता नहीं था इतने बड़े स्टार बनेंगे शाह रुख खान।

  

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प्रश्नः आपने अपनी पहली निर्देशकीय शुरुआत, ‘दिल आशना है’ के लिए शाह रुख खान को पहली बार कब देखा? आपकी जीवनी के अनुसार, पहली मुलाकात के दौरान वह बहुत नर्वस थे। उस मुलाकात के बारे में आपको क्या याद है?

हेमाः दिल्ली में रहते थे शाह रुख। तब मेरी बहन प्रभा ने फोन कर बुलाया था। जहां तक पहली मुलाकात की बात है, नर्वस तो होंगे ही। मेरी बहन ने फोन पर कहा था कि हेमा मालिनी आपसे मिलना चाहती हैं, इस पर उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि हमें हेमा क्यों बुलाएंगी। मेरे एक दोस्त के साथ शाह रुख घर पर आए थे। काफी शर्मीले और घबराए से।

प्रश्न- आपने उनके पहले आडिशन से असंतोष व्यक्त किया था। दूसरी बार के लिए आपने उनसे क्या बदलाव करने को कहा था?
हेमाः पहला आडिशन संतोषजनक था। पहले आडिशन में ही लगा कि यह ठीक है। शाह रुख के बाल काफी गड़बड़ थे। बालों के कारण पूरा चेहरा ढका रहता था। मैंने मेकअप आर्टिस्ट से कहा कि जेल लगाकर बाल पीछे करो। जब बाल पीछे किए गए तो शाह रुख मेरे पास आए और कई बार पूछा कि मैं अब ठीक लग रहा हूं ना।

प्रश्न -आपके पति धर्मेंद्र की प्रतिक्रिया क्या थी, जब उन्होंने शाह रुख खान से पहली मुलाकात की?
हेमाः मैंने धरम जी से शाह रुख खान के बारे में पूछा। धरम जी की उस वक्त शूटिंग चल रही थी। शाम को वह घर आए तो घर उनकी शाह रुख खान से मुलाकात कराई। पहली मुलाकात में ही धरम जी ने कहा कि बहुत अच्छा लड़का है, फिल्म में ले लो।

  

प्रश्न- आपने कहा था कि आपकी आध्यात्मिक गुरु ने उनकी सफलता का पूर्वानुमान लगाया था। दिल आशना है में शाह रुख की भूमिका के बाद, क्या आपको लगा था कि वह हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक बनेंगे?
हेमाः जब मुझे कोई बड़ा अभिनेता नहीं मिला, तब शाह रुख से बात की थी। मैंने पुणे निवासी अपनी गुरु मां इंदिरा देवी से चर्चा की। तब उन्होंने कहा कि तुम्हें तो बहुत बड़ा हीरो मिल रहा है। मैंने सोचा यह हीरो जो ढूंढा है यह तो बिल्कुल नया है। तब मुझे नहीं लगा कि गुरु मां ऐसा क्यों कह रही हैं। उस वक्त मैंने उनके चेहरे पर गंभीर मुस्कान देखी। जब शाह रुख स्टार बने तो मुझे गुरु मां की बात याद आई।

प्रश्नः -शाह रुख की सफलता में उनकी कौन-सी विशेषताएं सबसे ज्यादा काम आईं?
हेमा-शाह रुख खान बाकी हीरो से हटकर हैं। उनकी अपनी स्टाइल है, उन्होंने कभी किसी की कापी नहीं की। यही उनकी सबसे बड़ी विशेषता है।

प्रश्न-उनका करियर शुरू होने के बाद, आपने उनके साथ फिल्म ‘हे राम’ और ‘वीर -ज़ारा’ में साथ काम किया। अपनी ही खोज के साथ अब एक सितारे के रूप में काम करना कैसा था? नए कलाकार के रूप में शाह रुख खान और एक स्थापित सुपरस्टार शाह रुख खान के काम करने में क्या फर्क है?
हेमा- ‘वीर-जारा’ में मेरा एक-दो सीन था। मेरा मन था कि एक अभिनेत्री के रूप में मुझे शाह रुख के साथ एक फिल्म करनी चाहिए। शाह रुख स्थापित अभिनेता हैं। वह गंभीर भूमिका के साथ ही कामेडी भी बहुत अच्छी तरह से करते हैं। उनकी अंग्रेजी, हिंदी बहुत अच्छी है। शाह रुख ने इतनी मेहनत करके इतना बड़ा अंपायर बनाया है। अपने दम पर यह सब उन्होंने किया है।

प्रश्न -शाह रुख खान को सिनेमा जगत में किस रूप में याद किया जाना चाहिए?
हेमा - शाह रुख 60 वर्ष के हो गए, मुझे पता ही नहीं चला। मैंने तो लड़के के रूप में देखा था। वह जितने अच्छे अभिनेता हैं, उससे कहीं अच्छे इंसान हैं। उन्हें अभिनेता के साथ अच्छे इंसान के रूप में भी याद किया जाना चाहिए।

विनीत मिश्र से इनपुट

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